प्रोटेम स्पीकर की रेस में भर्तृहरि महताब कैसे मार ले गए बाजी, 8 बार के सांसद सुरेश क्यों हुए फेल?
Lok Sabha Protem Speaker Bhartruhari Mahtab: बीजेपी सांसद भर्तृहरि महताब को18वीं लोकसभा में प्रोटेम स्पीकर बनाया गया है, जिनका कांग्रेस जमकर विरोध कर रही है. आइए जानते हैं कैसे प्रोटेम स्पीकर की रेस में महताब मार ले गए बाजी.
Bhartruhari Mahtab: बीजेपी के वरिष्ठ नेता और सांसद भर्तृहरि महताब के प्रोटेम स्पीकर नियु्क्त किए जाने पर राजनीतिक विवाद शुरू हो गया है. इस फैसले पर कांग्रेस के सवाल उठाने पर संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने पलटवार किया है. संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि कांग्रेस इस मामले पर देश की जनता को गुमराह करने की कोशिश कर रही है. उन्होंने कहा कि जनता ने एनडीए को सरकार चलाने का अवसर दिया है और कांग्रेस को विपक्ष में बैठने का. जो जनता ने आदेश दिया है, कांग्रेस उसका सम्मान करे.
राष्ट्रपति ने किया नियुक्ति
ओडिशा की कटक लोकसभा सीट से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सांसद महताब को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने संविधान के अनुच्छेद 95(1) के तहत ‘प्रोटेम स्पीकर’ नियुक्त किया था, ताकि वे 26 जून को अध्यक्ष के चुनाव तक लोकसभा के पीठासीन अधिकारी के कर्तव्यों का निर्वहन कर सकें. लेकिन महताब के नाम पर मुहर लगते ही कांग्रेस ने विरोध करना शुरू कर दिया.
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क्या है भृतहरि महताब के नाम पर विवाद?
कांग्रेस का कहना है कि उनकी पार्टी के आठ बार के सांसद कोडिकुनिल सुरेश सबसे वरिष्ठ सांसद हैं, ऐसे में उन्हें लोकसभा का अस्थायी अध्यक्ष नियुक्त किया जाना चाहिए, जबकि महताब सात बार के ही सांसद हैं. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि वरिष्ठता की अनदेखी कर भाजपा संसदीय मानदंडों को खत्म करने की कोशिश कर रही है.
8 बार के सांसद के. सुरेश
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि परंपरा के अनुसार, जिस सांसद ने संसद में अधिकतम कार्यकाल पूरा किया है, उसे प्रोटेम स्पीकर नियुक्त किया जाना चाहिए. वरिष्ठता के हिसाब से के. सुरेश को प्रोटेम स्पीकर बनाया जाना चाहिए था. उन्होंने कहा कि रीति-रिवाज और परंपरा के मुताबिक के. सुरेश का ही हक बनता है लेकिन भाजपा की बुलडोजर नीति यहां ही देखने को मिल रही है. कांग्रेस अपने दलित नेता और केरल से आठ बार के सांसद कोडिकुन्निल सुरेश को प्रोटेम स्पीकर नामित किए जाने की उम्मीद कर रही थी, जो पूरा नहीं हो पाया.
महताब को क्यों बनाया गया
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता केसी वेणुगोपाल ने इसे "लोकतांत्रिक और संसदीय मानदंडों को नष्ट करने का प्रयास" बताया. उन्होंने पूछा, "सरकार को बताना चाहिए कि उसने के सुरेश को नजरअंदाज़ क्यों किया... वह कौन सा कारण था, जिसने उन्हें अयोग्य ठहराया?
जानें क्या है वजह जब सुरेश को नहीं बनाया गया प्रोटेम स्पीकर
इस तरह के आरोप के बाद संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने पलटवार करते हुए बताया कि परंपरा यह तय करती है कि सबसे लंबे समय तक लगातार सेवा करने वाले सांसद को प्रोटेम के रूप में नियुक्त किया जाता है, और इस वजह से पसंद भर्तृहरि महताब बने हैं.
महताब को क्यों मिला मौका
महताब ने इस साल भाजपा में शामिल होने से पहले पूर्व मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की बीजद के हिस्से के रूप में 1998 से 2019 तक कटक से ठह बार जीत हासिल की थी. यह उनकी सातवीं जीत है.
सुरेश कैसे रेस में हो गए पीछे
संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने भी सुरेश को आठ बार के सांसद के रूप में स्वीकार किया, लेकिन 1998 और 2004 में ब्रेक की ओर इशारा किया. उन्होंने कहा, "वह लगातार नहीं जीते." रिजिजू का कहना था कि सुरेश आठ बार सांसद रहे हैं, लेकिन 1998 और 2004 में वह लोकसभा के सदस्य नहीं थे, इसलिए संसद के निचले सदन में उनका कार्यकाल निरंतर नहीं रहा.
कौन हैं भृतहरि महताब?
8 सितंबर 1957 को ओडिशा के भद्रक में जन्में भृतहरि महताब, ओडिशा के पहले मुख्यमंत्री डॉ. एच महताब के बेटे हैं. महताब, नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली पार्टी बीजू जनता दल के संस्थापक सदस्य हैं और कभी वह नवीन पटनायक के बेहद खास हुआ करते थे. महताब छह बार बीजद के टिकट पर ही लोकसभा पहुंचे. हालांकि हालिया लोकसभा चुनाव से पहले भृतहरि महताब ने बीजद छोड़कर भाजपा की सदस्यता ले ली थी और अब वह भाजपा के टिकट पर चुनाव जीतकर लोकसभा पहुंचे हैं.