Interesting: मथुरा में ABCD और क ख ग घ सीख रहे हैं कान्हा! जानिए टाइम टेबल और बाकी शेड्यूल
Krishna learning ABCD: दिल्ली निवासी रामगोपाल तिवारी पिछले सात सालों से तीर्थनगरी मथुरा (Mathura) में रह रहे हैं. भगवान कृष्ण (Lord Krishna) की भक्ति में डूबे रामगोपाल को लड्डू गोपाल की एक झलक देखने के बाद इतना प्रेम उमड़ा कि उन्होंने अपने कान्हा को स्कूल में पढ़ाने का फैसला कर लिया.
Interesting news: भगवान की भक्ति में लोग अपना सर्वस्व निक्षावर कर देते हैं. कण कण में भगवान को देखने वाले भक्त ईश्वर से ऐसा नाता जोड़ लेते हैं. जिसकी मिसाल पूरी दुनिया में दी जाती है. ऐसे ही एक भक्त रामगोपाल तिवारी की बात करें तो पिछले सात साल से तीर्थनगरी में रह रहे इस श्रद्धालु ने बाल गोपाल कन्हैया को ही अपना बेटा मान लिया. अब वो रोज उन्हें पढ़ाने के लिए स्कूल ले जाते हैं. इस तरह पूरी दुनिया को भवसागर से तारने के लिए गीता का ज्ञान देने वाले कृष्ण खुद अ, ब, स, द और ए, बी, सी, डी पढ़ रहे हैं.
संदीपनि स्कूल में पढ़ते हैं भगवान
रामगोपाल के लड्डू गोपाल हर सुबह बुर्जा मार्ग स्थित संदीपनि मुनि स्कूल में पढ़ने के लिए एकदम टाइम पर पहुंचते हैं. सुबह उन्हें स्कूल पहुंचाते समय पानी की बोतल और उनका लंच भी रखा जाता है. स्कूल में बच्चों के बीच बैठकर लड्डू गोपाल प्राइमरी की शिक्षा ले रहे हैं. वहीं उनके साथ पढ़ने वाले सहपाठी भी उनसे दोस्ती कर चुके हैं. रामगोपाल तिवारी रिक्शे से अपने लड्डू गोपाल को स्कूल छोड़ने जाते हैं.
तीसरी क्लास में पढ़ते हैं कन्हैया
पिछले चार साल से स्कूल जाने वाले लड्डू गोपाल तीसरी कक्षा के छात्र हैं. बाकायदा रोज स्कूल जाते हैं. क्लास में सामान्य बच्चों की तरह उन्हें सीट पर बैठाया जाता है. आम लोगों के लिए ये भले ही रोचक और कौतूहल का विषय हो लेकिन रामगोपाल तिवारी के लिए प्रभु की मूरत उनके बच्चे से ज्यादा कुछ नहीं.
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कैसे हुआ स्कूल में दाखिला?
धार्मिक प्रवृत्ति के रामगोपाल की दिनचर्या अपने लाड़ले लड्डू गोपाल की सेवा और पूजा में बीतती है. एक दिन अचानक उनके मन में ये सवाल उठा कि सब बच्चे स्कूल पढ़ने जाते हैं, तो उनका लड्डू गोपाल आखिर क्यों नहीं पढ़ सकता. इसके बाद उन्होंने संदीपनि मुनि स्कूल की प्रिंसपल के सामने अपने लड्डू गोपाल के दाखिले की अर्जी रखी. प्रधानाचार्या ने पहले तो ना-नुकुर की फिर उनकी जिद देखकर कन्हैया का आधार कार्ड और बर्थ सर्टिफिकेट मांग लिया. इसके बावजूद रामगोपाल जिद पर अड़े रहे. थक हारकर इस्कान भक्त स्कूल संचालक रूपा रघुनाथ दास ने लड्डू गोपाल को बिना एडमिशन के ही शिक्षा दिलाने की अनुमति दे दी. रामगोपाल लड्डू गोपाल को रोज वॉकर में बैठाकर क्लास रूम तक छोड़ने आते हैं.
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