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World’s highest weather station: चीन (China) में विज्ञान तथा प्रौद्योगिकी का इतिहास बहुत पुराना और समृद्ध है. कृतिम सूरज (Artificial Sun) बना चुका चीन अपने मून मिशन जैसी कई कोशिशों के चलते अंतरिक्ष (Space) क्षेत्र में भी तेजी से आगे बढ़ रहा है. इस बीच शी जिनपिंग (Xi Jinping) के कार्यकाल में बीजिंग ने नया इतिहास रचते हुए माउंट एवरेस्ट (Mount Everest) की चोटी पर दुनिया का सबसे ऊंचा मौसम केंद्र (Weather station) स्थापित कर दिया है.
साउथ चाइना मॉर्निग पोस्ट में प्रकाशित खबर के मुताबिक ये दुनिया का सबसे ऊंचा मौसम केंद्र है. इस स्टेशन के जरिए होने वाला सूचनाओं का आदान प्रदान पूरी तरह से सैटेलाइट सिस्टम के जरिए होगा. जो हर 12 मिनट में अपने पूरे क्षेत्र की मौसम की जानकारी बताता रहेगा. इस मिशन पर काम रही टीम का कहना है कि मौसम का हाल जानने के अलावा दुनिया के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर पर बने इस सेंटर के जरिए इलाके में होने वाली बर्फबारी का संभावित अनुमान और बर्फ की मोटी परत को मापने का काम और आसानी से हो सकेगा.
चीन ने इस प्रोजेक्ट को 'समिट मिशन' का नाम दिया है. इस अभियान में रिसर्च टीम से 5 वैज्ञानिकों के साथ 16 वैज्ञानिकों का एक और समूह को मिलाकर करीब 270 से अधिक शोधकर्ता शामिल हैं. चीनी वैज्ञानिकों की 12 सदस्यीय टीम ने समुद्र जलस्तर से 8,300 मीटर (27,200 फीट) की ऊंचाई पर सफलतापूर्वक इस स्वचलित स्टेशन का परीक्षण करते हुए डेमो दिया कि यह सिस्टम सही तरह से काम कर रहा है. सौर ऊर्जा से संचालित होने वाला यह स्टेशन खराब मौसमी हालात में भी दो साल तक काम कर सकता है.
नया स्टेशन 8800 मीटर की उंचाई पर है जिसने अमेरिकी और ब्रिटिश वैज्ञानिकों द्वारा स्थापित बालकनी स्टेशन को पीछे छोड़ दिया है. जो उन्होंने 2019 में एवरेस्ट के दक्षिण की ओर 8430 की ऊंचाई पर स्थापित किया था.
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इससे पहले भी चीन ने एवरेस्ट के आस पास ही बहुत ऊंचाई पर तीन मौसम केंद्र स्थापित किए थे. लेकिन इस स्टेशन को इस तरह से बनाया गया है कि यह हर 12 मिनट में एक कूट संदेश का प्रसारण कर सकता है. ऐसे में इस सेंटर की बात करें तो चीन का ये नया और एडवांस केंद्र आसपास के उस इलाके के मौसम की जानकारी भी देगा जो दुनिया को ही अब तक नहीं मिल पाती थी. वहीं इस केंद्र पर काम कर रहे वैज्ञानिक एवरेस्ट (Everest) पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव की पड़ताल करेंगे. इस सेंटर के जरिए माउंट एवरेस्ट की ऊंचाइयों पर ग्रीनहाउस गैसों की मात्रा में विविधता का अध्ययन किया जाएगा. रिपोर्ट्स के मुताबिक इस केंद्र में काम कर रही टीम ये पता भी लगाएगी कि धरती के सबसे ऊंचे स्थान पर बर्फ के नीचे क्या है.