नई दिल्ली: बुधवार को साल 2018 का पहला चंद्रग्रहण आज(31 जनवरी) को लगेगा. इस दिन भारत के साथ-साथ विभिन्न देश के लोगों को 'ब्लडमून', 'सुपरमून' और 'ब्लूमून' का एक दुर्लभ खगोलीय घटना देखने को मिलेगी. यह चंद्रग्रहण शाम सात बजकर 37 मिनट तक चलेगा. एक घंटे के बाद लगभग शाम सात बजकर 25 मिनट पर ग्रहण फीका पड़ेगा लगेगा और ग्रहण का मुख्य भाग समाप्त हो जाएगा. नासा के अनुसार पिछली बार ऐसा ग्रहण 1982 में लगा था और इसके बाद ऐसा मौका 2033 में यानी 25 साल के बाद आएगा.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इससे पहले तीन दिसंबर 2017 और एक जनवरी 2018 को काफी नजदीक से यह दिखा था. चंद्रग्रहण में चांद हमेशा की तरह से थोड़ा बड़ा, लाल और चमकदार दिखेगा. नासा के अनुसार चंद्रग्रहण का सबसे अच्छा नजारा भारत और ऑस्ट्रेलिया में दिखेगा. इस दुर्लभ खगोलीय घटना को भारत के लोग बिना टेलीस्कोप या उपकरण की मदद के अपनी आंखों से सीधे देख सकेंगे. नासा के अनुसार भारत के अलावा यह दुर्लभ नजारा  पूरे उत्तर अमरीका, प्रशांत क्षेत्र, पूर्वी एशिया, रूस के पूर्वी भाग, इंडोनेशिया, ऑस्ट्रेलिया और न्यूज़ीलैंड में भी दिखेगा.


यह भी पढ़ें- 31 जनवरी को लगेगा साल का पहला चंद्र ग्रहण, इन बातों का रखें ध्यान


आखिर क्या है सूपरमून?
दरअसल, सुपरमून एक आकाशीय घटना है, जिसमें चांद अपनी कक्षा में धरती के सबसे नजदीक होता है और पूर्ण चांद को साफ तौर पर देखा जा सकता है. इस बार लोगों को तीसरी बार सुपरमून देखने का मौका है. इससे पहले 3 दिसंबर और 1 जनवरी को भी सुपरमून दिखा था.


क्या है ब्लू मून ?
माहिनेे में दो बार चांद पूरा दिखता है. जब दूसरी बार चांद दिखता है तो उस पूर्ण चांद को ब्लू मून कहते हैं. 



ब्लडमून
चंद्र ग्रहण के दौरान पृथ्वी की छाया की वजह से धरती से चांद काला दिखाई देता है. 31 तारीख को इसी चंद्रग्रहण के दौरान कुछ सेकेंड के लिए चांद पूरी तरह लाल भी दिखाई देगा. इसे ब्लड मून कहते हैं. बताया जाता है कि जब सूर्य की रोशनी छितराकर होकर चांद तक पहुंचती है तो परावर्तन के नियम के अनुसार हमें कोई भी वस्तु उस रंग की दिखती है जिससे प्रकाश की किरणें टकरा कर हमारी आंखों तक पहुंचती है. यही वजह है हमें चंद्रमा लाल दिखता है और इसी को हम सब ब्लड मून कहते हैं.


किसे कहते हैं चंद्रग्रहण?
चंद्रग्रहण के दौरान पृथ्वी, सूर्य और चन्द्रमा के बीच में आ जाती है और पृथ्वी की छाया चांद पर पड़ती है. चंद्र ग्रहण तब होता है जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी इस प्रकार आ जाती है कि पृथ्वी की छाया से चंद्रमा का पूरा या आंशिक भाग ढक जाता है. इस स्थिति में पृथ्वी सूर्य की किरणों के चंद्रमा तक पहुंचने में रोक लगा देती है. इसके बाद पृथ्वी के उस हिस्से में चंद्र ग्रहण नजर आता है.


यह भी पढ़ें- 


जानिए, कब कहां दिखेगा चंद्रग्रहण
एमपी बिरला तारामंडल के निदेशक (शोध एवं अकादमिकी) देवीप्रसाद द्वारी ने बताया कि चंद्रमा के उदय के बाद देश के उत्तर-पूर्वी एवं पूर्वी हिस्से चंद्र ग्रहण का अनुभव कर पाएंगे और कोलकाता में चांद शाम करीब पांच बजकर 17 मिनट पर उदय होगा, जबकि ग्रहण पांच बजकर 20 मिनट पर शुरू होगा. द्वारी ने कहा कि चंद्र ग्रहण भारत में एक घंटा 16 मिनट रहेगा. अमेरिका के ज्यादातर हिस्सों, उत्तर-पूर्वी यूरोप, रूस, एशिया और ऑस्ट्रेलिया में भी चंद्र ग्रहण नजर आएगा. द्वारी ने कहा कि भारत में अगला चंद्र ग्रहण 27 जुलाई 2018 को नजर आएगा.


इस चंद्रग्रहण की 3 खासियत
31 जनवरी को होने वाली पूर्णिमा की तीन खासियत है. पहली यह कि यह सुपरमून की एक श्रृंखला में तीसरा अवसर है, जब चांद धरती के निकटतम दूरी पर होगा. दूसरी यह कि इस दिन चांद सामान्य से 14 फीसदा ज्यादा चमकीला दिखेगा. तीसरी बात यह कि एक ही महीने में दो बार पूर्णिमा होगी, ऐसी घटना आमतौर पर ढाई साल बाद होती है. बीएम बिड़ला विज्ञान केन्द्र के निदेशक बीजी सिद्धार्थ ने कहा कि बुधवार को पड़ने वाला पूर्ण चंद्र ग्रहण भारत से दिखाई देगा, जिसमें चंद्रमा लाल भूरा रंग लेगा जिसे 'ब्लड मून' भी कहा जाता है. केन्द्र की एक विज्ञप्ति के अनुसार इस घटना को ब्लू मून और सुपर मून का भी नाम दिया गया है. 


1982 में लगा था ब्लड मून 
नासा के अनुसार पिछली बार ऐसा ग्रहण 1982 में लगा था और इसके बाद ऐसा मौका 2033 में यानी 25 साल के बाद आएगा. खगोल वैज्ञानिकों के लिए भी यह घटना बेहद महत्वूपर्ण मौका है.