32 साल की सेवा, 50 साल पेंशन, जानिए बाबूराम की कहानी
जिला हरदोई के राजा गांव के रहने वाले पेंशनर बाबूराम द्विवेदी की कहानी किसी को भी हैरत में डाल सकती है.
जालौन: हमारे देश में सरकारी नौकरी के लिए कितनी मारा-मारी है ये तो आप जानते ही हैं. सरकारी नौकरी पाने के लिए लोग क्या कुछ नहीं करते. ये तो भाग्य की बात है कि किसी को सरकारी नौकरी मिलती नहीं, तो कोई 50 साल से सरकारी पेंशन उठा रहा है. जितने साल सरकारी नौकरी भी नहीं की उससे ज्यादा साल से तो ये जनाब पेंशन उठा रहे हैं. जी हां हम बात कर रहे हैं बाबू राम की जिन्होंने 32 साल सरकारी नौकरी की और करीब 50 साल से वो सरकारी पेंशन उठा रहे हैं. मजे की बात है कि उनके बच्चे भी रिटायर होकर पेंशन उठा रहे हैं.
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105 साल उम्र और एकदम फीट
यूपी के रहने वाले बाबूराम का मामला कुछ अलग है. उनकी उम्र 105 साल है और फिजिकली एकदम फिट है, देश की आजादी से पहले पैदा होने वाले बाबूराम अपने एरिया के जाने-माने व्यक्ति है. इस उम्र में भी उनकी फिटनेस देखने लायक है. नौकरी से ज्यादा पेंशन लेने वाले बाबूराम द्विवेदी जिले के सबसे उम्रदराज पेंशनर हैं. उन्होंने नौकरी तो केवल 32 साल की लेकिन पेंशन 50 साल से ले रहे हैं. पिछली बार सबसे बुजुर्ग पेंशनर के रुप में उन्हें सम्मानित भी किया गया.
32 साल की सरकारी नौकरी
जिला हरदोई के राजा गांव के रहने वाले पेंशनर बाबूराम द्विवेदी की कहानी किसी को भी हैरत में डाल सकती है. उन्होंने 32 साल सरकारी नौकरी की और रिटायर हो गए. हैरत की बात ये है कि रिटायर होने के बाद भी वो पिछले 50 साल से सरकारी पेंशन ले रहे हैं. उनका भरा-पूरा परिवार है.
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बेटे-बेटी भी हो चुके हैं रिटायर
बाबूराम का परिवार पूरा भरा-पूरा है. खास बात है कि उनके बेटे और बेटियां भी रिटायर होकर पेंशन पा रहे हैं. उनके सबसे बड़े बेटे रामनरेश (69) शिक्षा विभाग और दूसरे बेटे रमेश चंद्र (67) एडीओ पंचायत से रिटायर्ड हैं. छोटी बहू प्रभा (66) हेल्थ विभाग में सुपरवाइजर के पद से रिटायर हैं. बाबूराम के साथ ये तीनों भी सरकारी पेंशन ले रहे हैं.
1971 से पेंशन मिलनी हुई थी शुरू, अब तक जारी
बाबूराम का जन्म 8 जनवरी 1915 में हुआ था. 5 अगस्त 1938 में वो राजस्व विभाग में कर्मचारी के रूप में भर्ती हुए. करीब 32 साल नौकरी करने के बाद वो पद से 31 दिसंबर 1970 को रिटायर हुए. इसके बाद एक जनवरी 1971 से उन्हें पेंशन मिलनी शुरू हुई, जो अब तक जारी है.
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