भोपाल: टाइगर स्टेट कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में लगातार बाघ दम तोड़ रहे हैं. 22 दिन में 8 बाघों की मौत हो चुकी है. जिससे बाघ प्रबंधन के सामने बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है. हालांकि मौत की वजहों का पता लगाया जा रहा है. लेकिन बावजूद इसके प्रबंधन सवालों के घेरे में आ गया है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

मार्च महीने तक एक भी मौत नहीं
इस साल जनवरी से मार्च तक एक भी बाघ की मौत नहीं हुई है. इसके बाद लगातार बाघों की मौतें हो रही है. बुधवार को एक साथ दो बाघों की मौत हुई है. इनमें से एक बाघ की मौत बाघवगढ़ टाइगर रिजर्व और दूसरे बाघ की मौत मुकुंदपुर जू में हुई है.


बांधवगढ़ नेशनल पार्क में हुई सबसे ज्यादा मौत
बताया जा रहा है कि सबसे ज्यादा बाघों की मौतें बांधवगढ़ नेशनल पार्क में हुई है, जबकि दूसरे नंबर पर कान्हा नेशनल पार्क है. वहीं, एक बाघ की मौत महाराष्ट्र और मध्यप्रदेश की सीमा में बुरहानपुर के सामान्य वन मंडल में हुई है.


आंकड़ों के मुताबिक देखें तो, 1 अप्रैल को कान्हा में, 3 अप्रैल को पेंच में, 9 अप्रैल को बांधवगढ़ में, 11 अप्रैल को बुरहानपुर में, 13 अप्रैल को कान्हा में, 17 अप्रैल को चित्रकूट में, 22 अप्रैल को बांधवगढ़ में, 22 अप्रैल को ही मुकुंदपुर जू सतना में बाघ ने दम तोड़ा था.


ये भी पढ़ें: कोरोना ने तोड़ी माटी पुत्रों की कमर, लॉकडाउन की वजह मिट्टी के बर्तनों का कारोबार ठप


मध्यप्रदेश में थे 526 बाघ
गौरतलब है कि बाघों की गणना के अनुसार मध्य प्रदेश को टाइगर स्टेट का दर्जा मिला हुआ है. बाघों की संख्या पर ऑल इंडिया टाइगर एस्टिमेशन 2018 की रिपोर्ट में मध्य प्रदेश को पहला पायदान मिला है. रिपोर्ट के मुताबिक, देश में सबसे ज्यादा 526 बाघ मध्यप्रदेश में हैं.


watch live tv: