मासूमों की कब्रगाह बना सागर मेडिकल कॉलेज, 3 महीने में 92 की मौत, जिम्मेदार मौन तो दोषी कौन?
सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज और जिला अस्पताल में नवजात व बच्चों की मृत्युदर बेतहाशा बढ़ रही है. पिछले 3 महीने में यहां कुल 92 बच्चों की मौत हुई है. पढ़िए पूरी खबर...
सागर: सागर के बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में मासूम बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. पिछले तीन महीने में यहां भर्ती कुल 92 बच्चों की मौत हो चुकी है. अकेले नवंबर महीने की में 65 बच्चों की मौत हुई है. इनमें वे बच्चे भी शामिल हैं, जो जिला अस्पताल के स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) वार्ड और शिशु वार्ड में एडमिट थे.
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क्या है वजह?
बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में शिशु मृत्यु दर सितंबर में 28% अक्टूबर में 28% और नवंबर में बढ़कर 32% हो गई है, जो संभवत मध्यप्रदेश में सर्वाधिक शिशु मृत्यु दर होगी. इसकी वजह है कि यहां हर दिन मासूमों को जान से हाथ धोना पड़ रहा है. इसके पीछे ड्यूटी डॉक्टरों की कमी बड़ी वजह बताई जा रही है.
बद से बदतर हो रहे हालात
प्रदेश सरकार में सागर जिले से हमेशा कद्दावर मंत्री को जगह मिली है. यही वजह है कि सूबे की सियासत में सागर का अच्छा खासा दखल मााना जाता है. मेडिकल कॉलेज होने के बाद भी यहां स्वास्थ्य सुविधाओं के नाम पर हालात बद से बदतर हैं.
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पिछले महीने की मौतों का आंकड़ा
नवंबर महीने में बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज में 84 बच्चों को इलाज के लिए एसएनसीयू वार्ड में भर्ती किया गया था. इनमें से 28 बच्चों ने दम तोड़ दिया, जबकि शिशु वार्ड में भर्ती 10 बच्चों की मौत हुई है. यही हालात जिला चिकित्सालय के स्पेशल न्यूबॉर्न केयर यूनिट (एसएनसीयू) वार्ड के हैं, जहां नवंबर महीने में कुल 28 बच्चों ने दम तोड़ा है. पिछले हफ्ते ही यहां 7 बच्चों की मौत हुई थी.
जिम्मेदार नहीं दे रहे कोई जवाब
इस गंभीर मामले में बुंदेलखंड मेडिकल कॉलेज के डीन आर एस वर्मा ने मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया. वहीं सिविल सर्जन बच्चों की प्रीमेच्योर डिलीवरी एवं उनका कमजोर होना मौत का कारण बता रहे हैं.
कौन हैं दोषी ?
कुछ भी हो करोड़ों रुपए की लागत से निर्मित एसएनसीयू वार्डों में यदि मासूम बच्चों की जान नहीं बचाई जा रही तो इसके लिए दोषियों की जिम्मेदारी तय किया जाना चाहिए और उन पर कार्रवाई होना चाहिए. इस मामले में मेडिकल कॉलेज के डीन आर एस परमार जैसे अधिकारी भी जांच के घेरे में हैं, क्योंकि जिम्मेदार और जबावदार होने के बाद भी उनकी तरफ से किसी भी तरह का स्पष्टीकरण नहीं दिया गया.
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