मध्य प्रदेश: संघ कार्यालय से सुरक्षा हटाने पर गर्माई सियासत, बवाल के बाद फिर लौटाई
कमलनाथ सरकार ने सोमवार देर रात अरेरा कॉलोनी ई-2 स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय समिधा से सुरक्षा-व्यवस्था हटा दी थी.
भोपाल: मुख्यमंत्री कमलनाथ ने 24 घंटे के भीतर ही संघ कार्यालय की सुरक्षा व्यवस्था बहाल करने के निर्देश दिए हैं. सीएम कमलनाथ को संघ कार्यालय से हटायी गई सुरक्षा व्यवस्था के बारे में जानकारी ही नहीं थी. सोमवार रात अचानक सरकार ने संघ कार्यालय से एसएएफ के जवानों को संघ कार्यालय से हटा लिया था. इसके बाद सियासत गर्मा गई थी. कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने राज्य सरकार के इस निर्णय को गलत बताया. उन्होंने मुख्यमंत्री कमलनाथ से फिर से संघ कार्यालय की सुरक्षा बहाल करने के आदेश देने की मांग की.
वहीं, शिवराज सिंह ने सरकार के इस निर्णय को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था. कमलनाथ ने जारी बयान में कहा है कि मुझे आरएसएस के भोपाल स्थित कार्यालय से चुनाव आयोग में की गई एक शिकायत के चलते और चुनावी कार्य में फोर्स की आवश्यकता होने के कारण सुरक्षा हटा लेने की जानकारी मिली. मैंने अधिकारियों को तुरंत ही निर्देश दिये हैं कि आरएसएस कार्यालय पर पुनः सुरक्षा व्यवस्था की जाए.
यह था मामला
कमलनाथ सरकार ने कल देर रात अरेरा कॉलोनी ई-2 स्थित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यालय समिधा से सुरक्षा-व्यवस्था हटा दी थी. यहां 10 सालों से सुरक्षाकर्मी सुरक्षा दे रहे थे. साल 2009 से एसएएफ जवानों की तैनाती थी. कार्यालय के बाहर एसएएफ जवानों का टेंट था. सोमवार रात अचानक कैंप हटना शुरू हुआ, एसएएफ जवान सामान लेकर चले गए. समिधा संघ का मध्य क्षेत्र का मुख्यालय है, जहां मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ के पदाधिकारी बैठते हैं.
इस वजह से मिली थी सुरक्षा व्यवस्था
संघ कार्यालय से सुरक्षा हटने के बाद सियासत का पारा दिनभर गर्म रहा. कांग्रेस इस मुद्दे पर दो फाड़ रही. संघ ने भी इस पूरे मामले पर सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस और दिग्विजय की मंशा पर सवाल उठाये हैं. संघ कार्यालय बनने का इतिहास भी कम रोचक नहीं है. दिवंगत सरसंघचालक केएस सुदर्शन ने पद छोड़ने की घोषणा के बाद समिधा को अपना निवास स्थान बनाने का निर्णय लिया था. उसी दौरान कार्यालय का रिनोवेशन हुआ था. सुदर्शन को राज्य सरकार ने विशेष सुरक्षा प्रदान की थी. इसी वजह से यहां एसएएफ के गार्ड तैनात किए गए थे. 15 सितंबर 2012 को उनके निधन के बाद भी जवान यहां तैनात रहे.