नई दिल्ली : देश के दूसरे राज्यों के मुकाबले मध्यप्रदेश की राजनीति में कम उथल पुथल देखने को मिलती है. पहले दस साल तक दिग्विजय सिंह की सरकार चली, उसके बाद 15 साल बीजेपी और शिवराज सिंह की सरकार रही. बीच में उमाभारती और बाबूलाल गौर के कार्यकाल जरूर छोटे रहे. लेकिन मप्र की राजनीति भी कई उतार चढ़ावों से भरी रही है. 1956 में मध्यप्रदेश बनने के बाद राज्य में अब तक 18 मुख्यमंत्री रह चुके हैं. शिवराज सिंह चौहान, दिग्विजय सिंह, सुंदर लाल पटवा उन मुख्यमंत्रियों में से हैं, जिन्होंने प्रदेश में सबसे लंबे समय तक शासन किया है. शिवराज सिंह चौहान मध्यप्रदेश में सबसे लंबे समय तक सीएम रहने का रिकॉर्ड कायम कर चुके हैं. लेकिन मध्यप्रदेश की राजनीति में कुछ चेहरे ऐसे भी हैं, जिन्हें सीएम की कुर्सी पर ज्यादा लंबे समय तक बैठने का मौका नहीं मिल पाया.


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राजा नरेशचंद्र सिंह तो सिर्फ 12 दिन ही सीएम की कुर्सी पर बैठ सके. वहीं भगवंतराव मंडलोई 21 दिन तक सीएम रहे. मध्यप्रदेश के पहले मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्‍ल सिर्फ 60 दिन मुख्यमंत्री रह सके थे. लेकिन इसमें एक नाम सबसे चर्चित है, वह हैं अर्जुन सिंह. अर्जुन सिंह सिर्फ एक दिन के लिए भी मध्यप्रदेश के सीएम बने चुके हैं. हालांकि ऐसा नहीं है कि वह सिर्फ एक ही दिन के लिए सीएम रहे हों. इससे पहले वह पूरे 5 साल मप्र के सीएम रह चुके थे.


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र्जुन सिंह पहली बार 1980 में मप्र के सीएम बने. वह 1985 तक सीएम रहे. उनके नेतृत्व में फिर से चुनाव हुए और कांग्रेस सत्ता में आई. 11 मार्च 1985 को अर्जुन सिंह ने फिर से मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. लेकिन एक दिन बाद ही यानी 12 मार्च को उन्हें पंजाब का गवर्नर बनाकर भेज दिया गया. इस कारण उन्हें मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा. इसके बाद उनकी जगह पर मोतीलाल वोरा मप्र के सीएम बने. मोतीलाल वोरा 1985 से 1988 तक सीएम रहे. 1988 में अर्जुन सिंह फिर से मप्र के सीएम बने. वह फरवरी 1989 से दिसंबर 1989 तक सीएम रहे.


नरेशचंद्र सिंह 12 दिन और मंडलोई 21 दिन सीएम रहे
मध्यप्रदेश में सबसे कम समय तक सीएम रहने वालों में राजा नरेशचंद्र सिंह और भगवंत राव मंडलोई का नाम शामिल है. राजा नरेश चंद्र सिंह 13 मार्च 1967 को राज्य के मुख्यमंत्री बने. इसी महीने 25 मार्च 1967 को उन्होंने इस्तीफा दे दिया. इससे पहले भगवंत राव मंडलोई 9 जनवरी को 1957 को राज्य के सीएम बने और 25 जनवरी 1957 को उनका भी इस्तीफा हो गया.