Nepanagar Assembly Election Result 2023: बुरहानपुर जिले में आने वाली नेपानगर विधानसभा सीट सूबे की हाईप्रोफाइल सीट मानी जाती है. क्योंकि इसकी वजह केवल यहां के प्रत्याशी नहीं है बल्कि यहां का राजनीतिक समीकरण है. दरअसल, पिछले 46 सालों में जितने भी चुनाव हुए हैं, उनमें यहां से जिस पार्टी का विधायक जीता है, सूबे में उसी पार्टी की सरकार बनी है, यानि जिसने नेपानगर जीता उसने प्रदेश भी जीता है. यही वजह है कि बीजेपी और कांग्रेस इस बार भी पूरा जोर लगाते नजर आए हैं. बीजेपी ने यहां मंजू दादू को चुनाव में उतारा था तो कांग्रेस ने गेंदू बाई चौहान को प्रत्याशी बनाया था. 


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महिला VS महिला 


नेपानगर विधानसभा सीट अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित है. राजनीतिक इतिहास की बात की जाए तो यहां कभी बीजेपी तो कभी कांग्रेस के विधायक चुने गए हैं. ये जगह इस लिहाज से भी महत्वपूर्ण है क्योकि ये आदिवासी और किसानों की बाहुल्य वाला क्षेत्र है. फिलहाल यहां से सुमित्रा देवी विधायक हैं. लेकिन बीजेपी ने उनका टिकट काटकर  मंजू राजेंद्र दादू को टिकट दिया है. जबकि कांग्रेस से भी महिला प्रत्याशी होने की वजह से इस सीट पर इस बार महिला VS महिला मुकाबला हो गया है.


नेपानगर में हुआ 77.05 प्रतिशत मतदान


नेपानगर विधानसभा सीट पर इस बार कुल 77.05 प्रतिशत मतदान हुआ है. नेपानगर में मतदान बंपर हुआ है, ऐसे में राजनीतिक जानकारों के बीच भी यह सियासी कशमकश चल रही है कि नेपानगर में इस बार किसे जीत मिलेगी. क्योंकि इस सीट का इतिहास सीधा सत्ता से जुड़ा है, ऐसे में 3 दिसंबर को आने वाले नतीजों पर सबकी नजर होगी. 


2018 का परिणाम कुछ ऐसा रहा 
 
2018 के विधानसभा में मंजू राजेंद्र दादू और सुमित्रा कास्डेकर के बीच कड़ा मुकाबला था. जिसमें सुमित्रा देवी को 85320 मत मिले थे. सुमित्रा देवी कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ी थी फिर बाद में जब सरकार गिरी तो वो बीजेपी में शामिल हो गई थी. फिर 2020 में उपचुनाव में बीजेपी ने इन्ही को टिकट दिया और वो चुनाव जीत गई थी.  


नेपानगर विधानसभा सीट का सियासी इतिहास 


नेपागर विधानसभा सीट पर 2003 में बीजेपी की अर्चना चिटनिस जीती थी. लेकिन 2008 के परिसीमन में यह सीट सामान्य से आरक्षित हो गई. लेकिन बीजेपी ने अपनी जीत का सिलसिला बरकरार रखा. 2008 और 2013 में राजेन्द्र दादू विधायक बने. लेकिन राजेन्द्र दादू के निधन के बाद उनके बेटी मंजू दादू यहां से विधायक चुनी गई थी. लेकिन 2018 में मंजू दादू को कांग्रेस की सुमित्रा देवी कास्डेकर से हार मिली थी. 2003 से 2013 तक यहां बीजेपी के विधायक चुने गए तो सूबे में सरकार भी बीजेपी की बनी, 2018 में कांग्रेस का विधायक चुना गया तो सरकार भी कांग्रेस की बनी. जबकि उपचुनाव में बीजेपी फिर जीती तो सरकार भी बीजेपी की रही. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि 2023 में नेपानगर किसकी सरकार बनवाता है.