Madhya pradesh Vidhan Sabha Chunav 2024 Parinam-मध्यप्रदेश में हुए दो सीटों पर उपचुनाव के नतीजे घोषित हो गए हैं. उपचुनाव में हाई प्रोफाइल सीट बुधनी पर बीजेपी के रमाकांत भार्गव ने जीत दर्ज की है. रमाकांत भार्गव ने कांग्रेस प्रत्यासी राजकुमार पटेल को हराया है. बीजेपी की जीत के बाद कार्यकर्ताओं ने जमकर जश्न मनाया, रमाकांत भार्गव ने राजकुमार पटेल को 13,901 मतों से पराजित किया. 


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हालांकि पिछले साल हुए चुनाव के मुकाबले उपचुनाव में जीत का अंतर घटा है. बीजेपी का जीत अंतर 1 लाख वोटों से घटकर मात्र 13 हजार वोटों पर सिमट गया. 



हाईप्रोफाइल थी सीट 
गौरतलब है कि शिवराज सिंह के विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद यह सीट खाली हुई थी. शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री रहते हुए इसी सीट से चुनाव लड़ते थे. उनकी गृह विधानसभा होने के कारण इस सीट पर सबकी निगाहें टिकी हुई थी. बीजेपी प्रत्याशी रमाकांत भार्गव के लिए मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री समते तमाम दिग्गज नेताओं ने प्रचार किया था. वहीं कांग्रेस ने भी इस सीट को जीतने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी.


कांग्रेस की बढ़त हुई कम
सीहोर के महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज में सुबह 8 बजे मतगणना शुरु हुई. शुरुआती राउंड में कांग्रेस प्रत्याशी राजकुमार पटेल ने बढ़त बनाई थी. यह बढ़त दूसरे राउंड में भी बरकरार रही, लेकिन आगे के राउंड में कांग्रेस पिछडती चली गई. 2 राउंड के बाद रमाकांत भार्गव राजकुमार पटेल पर भारी पड़े और सीट को जिताकर बीजेपी की झोली में डाला. 


बीजेपी का अभेद्य किला
बुधनी विधानसभा सीट को बीजेपी का गढ़ माना जाता है. बुधनी सीट पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का गढ़ रही है.  शिवराज सिंह चौहान यहां से लगातार 5 बार विधायक चुने गए थे. शिवराज के सांसद बनने के बाद उनके करीबी माने जाने वाले रमाकांत भार्गव को बीजेपी ने टिकट दिया था. 


उपचुनाव और राजकुमार पटेल
उपचुनाव और राजकुमार पटेल का अजब संयोग हैं. राजकुमार पटेल आज तक एक भी उपचुनाव में जीत दर्ज नहीं कर पाएं है. बुधनी विधानसभा सीट पर अब तक तीन बार उपचुनाव हुआ है, इन तीनों उपचुनाव में कांग्रेस को हमेशा हार मिली है. हर उपचुनाव में बीजेपी ने अपना प्रत्याशी बदला है, लेकिन संयोग से इन तीनों उपचुनाव में बीजेपी के सामने कांग्रेस ने राजकुमार पटेल को ही उतारा है. और उन्हें तीनों में ही हार का सामना करना पड़ा है. बता दें कि राजकुमार पटेल एक साल के भीतर ही दो बार चुनाव हार चुके हैं.