प्रमोद शर्मा/भोपालः मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बीती 2 सितंबर को अधिसूचना जारी कर सरकारी नौकरियों में OBC वर्ग के लिए 27 फीसदी आरक्षण तय कर दिया गया है. अब इस आरक्षण के समर्थन में हाईकोर्ट में एक कैविएट याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका में मांग की गई है कि यदि कोई ओबीसी के 27 फीसदी आरक्षण को चुनौती देता है तो हाईकोर्ट एक पक्षीय आदेश जारी ना करे. 


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क्या होती है कैविएट याचिका
बता दें कि ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन ने यह कैविएट याचिका दायर की है. कैविएट याचिका एक प्रकार की सूचना होती है, जो किसी पार्टी द्वारा कोर्ट को दी जाती है. इस सूचना में कोर्ट से अपील की जाती है कि वह याचिकाकर्ता का पक्ष सुने बगैर विपक्षी पार्टी को कोई राहत ना दे और ना ही कोई एक्शन ले. कैविएट याचिका एक तरह का बचाव होता है ताकि कोर्ट किसी मामले में एक पक्षीय फैसला ना दे. सिविल प्रोसीजर के कोड 148 (ए) के तहत कैविएट याचिका फाइल की जाती है. 


उल्लेखनीय है कि पूर्व की कमलनाथ सरकार ने अपने शासनकाल में प्रदेश में ओबीसी आरक्षण की सीमा 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी करने का ऐलान किया था. हालांकि इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गईं, जिसके बाद कोर्ट ने सरकार के फैसले को स्टे कर दिया. अब शिवराज सरकार ने महाधिवक्ता और कानून के जानकारों से चर्चा के बाद हाईकोर्ट ने पीजी नीट परीक्षा 2019-2020, पीएसी मेडिकल अधिकारी क्लास 2 की भर्ती 2020 और शिक्षक भर्ती 2018 को छोड़कर बाकी सरकारी नौकरियों में ओबीसी वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण का लाभ देने का फैसला किया है. 


दरअसल जिन नौकरियों और परीक्षाओं को छोड़ा गया है, उन पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई हुई है. अब सरकार के आदेश के तहत बढ़े हुए आरक्षण के चलते प्रदेश में करीब 1 लाख नई भर्तियां होने वाली हैं. ऐसे में इस कैविएट को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.  


मध्य प्रदेश के महाधिवक्ता पुरुषेन्द्र कौरव ने हाल ही में अपनी राय मध्य प्रदेश शासन को भेजी थी, जिसमें उन्होंने कहा था कि हाईकोर्ट की रोक वाली परीक्षाओं और सरकारी नौकरियों को छोड़कर बाकी जगह सरकार ओबीसी वर्ग के लिए 27 फीसदी आरक्षण लागू कर सकती है. जिसके बाद 2 सितंबर को सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग ने इसकी अधिसूचना जारी कर आरक्षण लागू कर दिया. 


अब इस अधिसूचना के खिलाफ अगर कोई याचिका हाईकोर्ट में दाखिल की जाती है तो कैविएट याचिका के चलते हाईकोर्ट ओबीसी एडवोकेट वेलफेयर एसोसिएशन का पक्ष सुनने के बाद ही कोई आदेश देगा. आरक्षण मामले पर पूर्व में दाखिल की गई सभी याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई की शुरुआत 20 सितंबर हो सकती है.