लड्डू तिरुपति का, स्वाद MP में क्यों कड़वा? कांग्रेस को अपना राज्य छोड़ दूसरे की ज्यादा चिंता
Tirupati Laddu Controversy: तिरुपति बालाजी के प्रसादम लड्डू में मिलावट का मुद्दा चर्चा में है तो पूरे देश की सियासत इसी पर गरमा रही है. इधर, मध्य प्रदेश में भी मीडिया में बने रहने के लिए पार्टियां एक सुर में मिलावट करने वालों के खिलाफ जांच की मांग कर रही हैं. एमपी कांग्रेस को भी राज्य में अपने हालात से ज्यादा तिरुपति बालाजी के लड्डू का स्वाद कड़वा लग रहा है.
Tirupati Prasadam Row: आंध्र प्रदेश स्थित तिरुमला तिरुपति बालाजी के प्रसादम लड्डू में एनिमल फैट और फिश ऑयल की मिलावट के बाद से पूरे देश में सियासत गरमा गई है. तिरुपति बालाजी प्रसादम मु्द्दे पर आंध्र प्रदेश में पार्टियां एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप मढ़ रही हैं. इधर, मध्य प्रदेश में भी लगातार बयानबाजी हो रही है. विपक्षी कांग्रेस कहां पीछे रहने वाली है. कांग्रेस लगातार तिरुपति प्रसादम का मुद्दा उठा रही है.
कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि तिरुपति मंदिर प्रसादम मिलावट मामले थमने का नाम नहीं ले रहा है. कांग्रेस के सीनियर नेता पूर्व मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि तिरुपति प्रसादम में पशुओं की चर्बी मिलाने का काम बिना पॉलिटिकल संरक्षण के संभव नहीं है. सज्जन सिंह वर्मा ने कहा कि धर्म को दूषित करने वालों को फांसी दी जाए, बक्सा नहीं जाना चाहिए. सज्जन सिंह ने कहा कि 300 रुपए किलो में घी नहीं मिलता है.
कार्रवाई को लेकर क्या बोले सिंधिया
इधर, केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने भी तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट करने वालों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की मांग की. जब तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट करने वालों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही तो उन्होंने दो टूक कहा इस मामले में बिल्कुल कार्रवाई होनी चाहिए. इसमें कोई दो राय नहीं है.
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द्वारिका पीठ के शंकराचार्य ने भी की जांच की मांग
सिवनी पहुंचे शारदा द्वारका पीठ के शंकराचार्य स्वामी सदानंद सरस्वती महाराज ने तिरुपति बालाजी मंदिर के बारे में कहा कि जो जानकारी मिल रही है उसे सुनकर बहुत कष्ट हुआ है. हमारी धार्मिक व्यवस्था में मिलावट करना घी में लड्डू में मिलावट करना. ये अपराध कैसे हुआ और कितने दिन तक होते रहा. वहां के संचालक ने क्यों ध्यान नहीं दिया. इन सब बातों पर बहुत विचार करने की आवश्यकता है. मंदिर में किसे क्या करना चाहिए ये शासन का काम नहीं है. राजनीतिक लोगों का काम नहीं है मंदिरों का संचालन करना. धर्म का विषय है उसका निर्णय धर्माचार्य ही लेंगे.
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