Minister Chaitanya Kashyap: मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री बने प्रदेश के सबसे अमीर विधायक चैतन्य कश्यप ने विधानसभा सत्र की शुरुआत में ही अपनी सैलरी और भत्ता नहीं लेने का ऐलान किया था. जिसके बाद उनके इस फैसले की खूब चर्चा हुई थी. लेकिन बुधवार को इस मामले में तब नया मोड़ आ गया, जब राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी की दिग्गज नेता उमा भारती ने इस फैसले पर मंत्री को सैलरी न छोड़ने की बात कहते हुए उसे गरीब बेटियों की शिक्षा पर खर्च करने सलाह दी थी. उमा भारती ने सोशल मीडिया पर दो पोस्ट की थी जो सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बन गई. इस बीच शाम होते-होते मंत्री चैतन्य कश्यप ने पूर्व सीएम उमा भारती से मुलाकात की है. 


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

फैसले पर विचार करेंगे मंत्री 


मंत्री चैतन्य कश्यप से मुलाकात के बाद उमा भारती ने फिर से पोस्ट करते हुए लिखा 'रतलाम से विधायक एवं हाल ही में बने प्रदेश सरकार के मंत्री चैतन्य कश्यप मेरे दूसरे ट्वीट के जवाब में स्वयं उपस्थित हो गए. चैतन्य कश्यप जी को मैं 20 साल से जानती हूं वह बहुत बड़े व्यवसायी, बहुत बड़े दानी एवं समाजसेवी हैं. वह अपने व्यवसाय से प्राप्त लाभ का बहुत बड़ा हिस्सा दान करते हैं किंतु फिर भी मैंने अपना सुझाव दोहराया कि वह अपने वेतन एवं भत्ते सरकार को वापस करने की जगह पर दान की राशि में शामिल कर लिया करें उन्होंने इस पर कहा कि वह इस पर विचार करेंगे.'


उमा भारती ने उठाए थे सवाल 


दरअसल, उमा भारती ने सुबह एक पोस्ट की थी जिसमें उन्होंने लिखा था कि मंत्री चैतन्य कश्यप अगर अपनी सैलरी के 12 लाख रुपए छोड़ भी देते हैं तो इससे उन्हें ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. इससे अच्छा है वह अपनी सैलरी का पैसा गरीब लड़कियों की पढ़ाई पर खर्च करें. इसके अलावा उन्होंने बीजेपी सांसद वरुण गांधी के एक बयान का भी जिक्र करते हुए लिखा था कि विधायकों और सांसदों की सैलरी वर्तमान सैलरी के हिसाब से तय होनी चाहिए.


ये भी पढ़ेंः BAP पार्टी के MLA को आया गुस्सा, अधिकारियों से बोले-कांग्रेस ज्वाइन कर लो


उनकी इस पोस्ट की चर्चा सियासी गलियारों में तेजी होने लगी. जिस पर मिले जुले रिएक्शन आए थे. ऐसे में उमा भारती ने एक और पोस्ट की थी. जिसमें उन्होंने लिखा 'जो मुझे आशंका थी वही हुआ. कुछ लोगों ने मेरी बातों का गलत मतलब निकाल ही लिया. लोकतंत्र में अमीर हो गरीब, सबको सांसद या विधायक होने का अधिकार है. स्वयं मैं जब आठ वर्ष की थी तब से आज तक मैंने सुविधा संपन्न जीवन जिया. मैं सरकार से प्राप्त सुविधाओं का पात्रता एवं आवश्यकता के अनुसार उपयोग करती हूँ. कभी कभी किसी संस्था, कोई असहाय महिला या किसी बच्चे की शिक्षा की सुविधा के लिए मैं चेक से ही राशि देती हूं. लेकिन सरकार को कुछ वापिस नहीं करती.  


'रतलाम के विधायक जो अभी मंत्री बने हैं वह बहुत बड़े व्यवसायी एवं बहुत बड़े दानी भी है और मुझे उनसे कोई तकलीफ नहीं है. वरुण गांधी एवं उनके इस विवरण को सुनकर की वो सांसद या विधायक की सुविधा नहीं लेते. तो यह बड़ी बात नहीं है किंतु जिन जनप्रतिनिधियों का जीवन यापन एवं अतिथि सेवा इन्ही सुविधाओं से होती है वह स्वयं को छोटा अनुभव करेंगे जब की ऐसा नहीं है. सब बराबर है. जनता सबको वोट देती है.'


उमा भारती की इसी पोस्ट के बाद मंत्री चैतन्य कश्यप उनसे मुलाकात करने के लिए पहुंचे थे. जिस पर उमा भारती ने लिखा कि मंत्री ने उनके विचार पर विचार विमर्श करने की बात कही है. जिसके बाद यह मामला चर्चा में बना हुआ है.  


ये भी पढ़ेंः MP News: उमा भारती ने अपनों से ही किए सवाल, जनप्रतिनिधियों के पेंशन और भत्ते से जुड़ा है मामला