जबलपुर : अक्सर अपनी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने वाले विधायक और पूर्व मंत्री अजय विश्नोई ने एक बार फिर तल्ख तेवर दिखाए हैं. मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के एनआरए के रिजल्ट के आधार पर मप्र में सरकारी नौकरी देने के ऐलान पर उन्होंने सवाल उठाए हैं. बीजेपी विधायक ने कहा कि मुख्यमंत्री को अपने फैसले के बारे में एक बार फिर विचार करना चाहिए. 


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BJP विधायक ने खोला सरकार के खिलाफ मोर्चा 
पूर्व मंत्री अजय विश्नोई ने अपने ट्वीट में लिखा- माननीय मुख्यमंत्री जी से निवेदन है कृपया अपने फैसले पर पुनर्विचार करें. केंद्र के द्वारा ली गई परीक्षा के आधार पर प्रदेश के बेरोजगार नौजवानों की मेरिट लिस्ट तैयार करना उचित नहीं होगा. प्रदेश को अपने स्वयं की परीक्षा अलग से कराना चाहिए. इस परीक्षा में प्रदेश से जुड़े सवाल होने चाहिए. प्रदेश की नौकरी के लिए प्रदेश को जानना जरूरी है। दूसरी बात प्रदेश के एक समान स्तर वाले नौजवानों के बीच में प्रतियोगिता उन्हें बेहतर स्थान उपलब्ध कराएगी.



आपको बता दें कि  मोदी कैबिनेट के राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी यानी (एनआरए) के गठन को मंजूरी देने के बाद मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार ने सरकारी नौकरी की चाह रखने वाले युवाओं को बड़ी सौगात दी थी. सीएम शिवराज ने नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी के तहत परीक्षाएं लेने का ऐलान किया था. इस फैसले के बाद अब प्रदेश के  युवाओं को सरकारी नौकरी के लिए अलग से कोई परीक्षा नही देना होगी. 


‘नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी लेगी परीक्षा’
मुख्यमंत्री शिवराज ने ट्वीट किया  ‘’प्रधानमंत्री के नेतृत्व में राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (NRA) के गठन के फैसले से युवाओं के भविष्य की राह आसान हुई है। अब SSC,RRB व IBPS की नौकरियों के लिए केवल एक ही परीक्षा में भाग लेना पर्याप्त होगा। देश के युवाओं की ओर से प्रधानमंत्री जी का अभिनंदन. एनआरए द्वारा आयोजित परीक्षाओं में प्राप्त अंकों के आधार पर ही नौकरी देने का अभूतपूर्व निर्णय लेने वाला मध्यप्रदेश पहला राज्य है। इससे युवाओं का जीवन सहज, सुगम बनेगा। देश के दूसरे राज्य भी मध्यप्रदेश की इस पहल को अपनाकर अपने प्रदेश के बेटे-बेटियों को बड़ी राहत दे सकते हैं’’


केंद्र सरकार ने दी थी मंजूरी
आपको बता दें कि केंद्रीय कैबिनेट ने राष्ट्रीय भर्ती एजेंसी (एनआरए) के गठन को मंजूरी दे दी है। इसके तहत अब ग्रुप 'बी' और 'सी' के नॉन टेक्निकल पदों पर भर्ती के लिए आवेदकों को एक ही ऑनलाइन कॉमन एलिजिबिलिटी टेस्ट (सीईटी) देना होगा। इस टेस्ट के आधार पर वे अलग-अलग विभागों में भर्ती के लिए मुख्य परीक्षाओं में शामिल होने के पात्र होंगे.  सीईटी में सफल अभ्यर्थी तीन साल सीधे मुख्य परीक्षा दे सकेंगे.  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला लिया गया. 


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