ऋचा जोगी का CM बघेल पर तंज, जाति प्रकरण को लेकर दुर्भावना से काम कर रही सरकार
ऋचा जोगी ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उन्हें कोई नोटिस मुंगेली कलेक्टर की ओर से नहीं मिला है. नोटिस मेरे पैतृक गांव में चस्पा होने की जानकारी मिली है. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार जाति प्ररकरण को लेकर दुर्भावना से काम कर रही है.
राकेश ठाकुर/बिलासपुर: बिलासपुर जिले के मारवाही उपचुनाव और ऋचा जोगी जाति प्रकरण को लेकर गुरुवार को रेणु जोगी राज्यपाल से मिलने राजभवन पहुंची. राज्यपाल से मुलाकात के बाद उन्होंने प्रेस कॉन्फेंस में कहा कि कांग्रेस पार्टी को मरवाही सीट ऋचा जोगी के लिए छोड़ देनी चाहिए. साथ ही उन्होंने इस सीट की तुलना उत्तरप्रदेश की बरेली से करते हुए कहा कि जिस तरह सोनिया गांधी के लिए सपा और बसपा सीट छोड़ देती हैं, उसी तरह से कांग्रेस को मरवाही सीट के लिए दरियादिली दिखानी चाहिए.
रेणु जोगी ने सरकार के नीयत पर उठाए सवाल
रेणु जोगी प्रदेश की कांग्रेस सरकार की नीयत पर सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार जोगी परिवार को रोकने के लिए हर तरह के पैतरे अपना रही है. ऋचा जोगी प्रकरण भी इसी का एक हिस्सा है. सरकार चाहती है कि जोगी परिवार को कोई सदस्य चुनाव नहीं लड़े.
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सरकार कर रही दुर्भावना से काम
ऋचा जोगी ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि उन्हें कोई नोटिस मुंगेली कलेक्टर की ओर से नहीं मिला है. नोटिस मेरे पैतृक गांव में चस्पा होने की जानकारी मिली है. साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार जाति प्ररकरण को लेकर दुर्भावना से काम कर रही है. बता दें कि ऋचा जोगी अमित जोगी की पत्नी और अजीत जोगी की बहू हैं.
क्या है पूरा मामला?
बता दें कि अजीत जोगी और अमित जोगी का जाति विवाद लंबे समय से चल रहा है. राज्य स्तरीय छानबीन समिति ने अमित जोगी के जाति प्रमाण पत्र को निरस्त कर दिया है. जिनसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है. आगामी नवंबर माह में मरवाही विधानसभा का उपचुनाव होना है, जिसमें जनता कांग्रेस की ओर से अमित जोगी चुनाव लडऩे की तैयारी कर रहे हैं.
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लेकिन जाति को लेकर उन्हें आशंका है कि कांग्रेस उन्हें चुनाव लडऩे से रोक सकती है. जिसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी ऋचा जोगी की अनुसूचित जन जाति का प्रमाण पत्र मुंगेली जिले के एक गांव का पता देकर बनवा लिया है, लेकिन 17 जुलाई को जारी हुए इस प्रमाण पत्र की शिकायत कांग्रेस ने न केवल राज्यपाल बल्कि अन्य फोरम पर भी किए हैं. जहां से जाति प्रमाण को निरस्त किया जा सकता है.
अमित जोगी का आरोप है कि इस प्रमाण पत्र को लेकर सत्यापन समिति का कोर्ई नोटिस उन्हें नहीं मिला है जबकि प्रमाण पत्र के लिये उपलब्ध कराए गए दस्तावेजों में ऋचा जोगी का पता ग्राम पेण्ड्री तहसील जरहागांव उपतहसील व जिला मुंगेली दिया गया है, स्थाई और अस्थाई पते के तौर पर उपरोक्त पता होने के चलते इस पते पर न केवल नोटिस चस्पा किया गया. बल्कि गांव के कोटवार से मुनादी भी कराई गई है.
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मरवाही खास रहा है जोगी परिवार के लिए
करीब 2 लाख मतदाता वाली मरवाही विधानसभा आदिवासी और दलित बाहुल्य एसटी आरक्षित सीट है. राज्य बनने के बाद मरवाही विधानसभा क्षेत्र में अबतक 5 चुनाव हो चुके हैं. राज्य बनने के बाद यहां अभी तक पांच चुनाव हुए हैं और इन पांचों चुनावों को जीतने वाले अजीत जोगी या फिर उनके परिवार के सदस्य ही रहे हैं. सीएम बनने के अजीत जोगी ने 2000 में तत्कालीन बीजेपी विधायक रामदयाल उइके को तोड़कर 2001 में उपचुनाव लड़ा और विधानसभा में पहुंचे. उस समय मध्यप्रदेश प्रदेश से अलग हुए छ्त्तीसगढ़ राज्य में विधायकों के आधार पर कांग्रेस की अंतरिम सरकार बनी थी.
इसके बाद 2003 में हुए पहले और 2008 में दूसरे विधानसभा चुनाव में अजीत जोगी कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में जीते थे. लेकिन 2013 में जोगी ने कांग्रेस के टिकट पर मरवाही से अपने बेटे अमित जोगी को लड़ाया और यह सीट एक बार फिर उनके परिवार के पास ही रही. 2016 में अमित जोगी के कांग्रेस से निष्कासन के बाद जोगी ने कांग्रेस पार्टी से अपना संबंध तोड़ लिया और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जेसीसी) नाम से एक नई पार्टी बनाई. 2018 का मरवाही विधानसभा चुनाव जोगी ने जेसीसी उम्मीदवार के रूप में लड़ा और एक बार फिर जीते.
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एक-एक गांव में रहा है जोगी परिवार का दखल
पूर्व सीएम स्व अजीत जोगी का मरवाही के एक-एक गांव में अच्छी खासी दखल थी. हर एक गांव के लोगों से उनकी सीधी पहचान थी. व्यक्तिगत संपर्कों के चलते वे लोगों के दिलों में राज करते थे. कार्यकर्ताओं के बीच मीटिंग के दौरान मैदानी कार्यकर्ता भी यही बात खुलकर बोल रहे हैं. कार्यकर्ताओं का कहना है कि जोगी के प्रभाव को आसानी के साथ खत्म नहीं किया जा सकता. मरवाही की जनता उनसे पार्टी से अलग हटकर भावनात्मक रूप से जुड़ी रही है.
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