(प्रकाश शर्माः जांजगीर चांपा)/नई दिल्लीः छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा जिले के 375 प्रायमरी और मिडिल स्कूल सहित 22 हाईस्कूल हायर सेकंडरी स्कूल जर्जर हैं. रिकॉर्ड के अनुसार 17 स्कूल तो ऐसे हैं जो उपयोग के लायक ही नहीं है. दुर्भाग्यजनक स्थिति तो यह है कि स्कूल खोल दिए या उन्नयन कर दिया, लेकिन पांच स्कूल के लिए आज तक भवन की व्यवस्था ही नहीं हो पाई. ऐसे स्कूल या तो पंचायत के भवन या आंगनबाड़ी में लग रहे हैं. तीन स्कूलों को डिस्मेंटल किया जा चुका है, लेकिन उसके बदले नया भवन निर्माण नहीं हुआ है. इसके अलावा अन्य स्कूलों के भवन जर्जर हो चुके हैं. ऐसे में अक्सर यही सवाल सामने आता है कि क्या इस बार फिर बच्चों को जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करनी होगी.


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डेढ़ माह तक सरकारी स्कूल बंद थे. इस दौरान न केवल शिक्षा विभाग बल्कि जिले के आला अधिकारियों को भी जिले के स्कूलों की स्थिति की जानकारी थी. इसके बावजूद इन दिनों मे व्यवस्था सुधारने कोई पहल नही की गई. इस मामले मे शासन की भी दोहरी नीति उजागर होती है क्योंकि जब किसी प्राइवेट स्कूल के लिए अनुमति दी जाती है तो यह पहली अनिवार्य शर्त है कि वहां भवन पर्याप्त हो और विद्यार्थियों के खेलने के लिए खेल मैदान, प्रैक्टिकल के लिए लैब, प्रशिक्षित शिक्षक होने चाहिए.


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बच्चों के बैठने के लिए पर्याप्त टेबल कुर्सी होनी चाहिए. पूरी जांच के बाद ही मापदंड पर खरा पाए जाने पर अनुमति दी जाती है, लेकिन सरकारी स्कूलों में भवनों की ऐसी स्थिति चिंताजनक है. ऐसे में विद्यार्थियों को पढ़ने के लिए कैसे बेहतर वातावरण मिलेगा यह एक बड़ा सवाल है. हालांकि अधिकारी इन आंकड़ों को आन कैमरा बताने से बचने का प्रयास करते है मगर शिक्षा विभाग से मिले आंकड़े ही विभाग के लचर रवैये को साबित करने के लिए पर्याप्त हैं. गौरतलब है कि जांजगीर-चांपा जिले मे व्यवस्था बनाने सक्ती को अतिरिक्ति शिक्षा जिला बनाया गया है, लेकिन इन सब के बावजूद स्कूल संबंधी इन समस्याओं का समाधान होता नजर नही आ रहा है.