Chhattisgarh News: संकट में दहशत को मात देता अबूझमाड़ का क्रिकेट, युवाओं की पहले को कहीं लग न जाए ग्रहण
Narayanpur News: नारायणपुर जिले के अबुझमाड़ के सोनपुर में युवाओं ने मां दंतेशवरी क्रिकेट क्लब के जरिए खेलों के साथ दहशत को मात दिया. अब इस साल के बाद युवाओं के इस प्रयास पर ग्रहण लग सकता है.
Narayanpur News: नारायणपुर। घोर नक्सल प्रभावित अबुझमाड़ के सोनपुर में पुलिस बेस कैंप खुलने के बाद सोनपुर गांव के लोग नक्सली भय और दहशत को भुलाकर चैन से जीवन यापान कर रहे हैं. वहीं पिछले 15 सालों से नक्सली दहशत के बीच में मां दंतेशवरी क्रिकेट क्लब द्वारा क्रिकेट मैच का आयोजन कर अबूझमाड़ के गांव के युवाओं को खेल के प्रति जागरूक करते आ रहे थे. अब मौदान की समस्या को लेकर युवा अगले साल से इसके बंद होने की बात कह रहे हैं.
युवाओं में चिंता
अभी तक जिस मैदान में युवा खेलों का आयोजन करते हैं वह मैदान निजी जमीन पर है. जमीन मालिक ने इस आयोजन के बाद मैदान का उपयोग नहीं करने की बात कही है. जिसको लेकर अब सोनपुर और आसपास के गांवों युवा मैदान की समस्या की चिंता कर रहे है. सभी युवा शासन प्रशासन से मैदान का निर्माण कराने की मांग करते है.
भय और दहशत दूर हो रहे लोग
नारायणपुर मुख्यालय से 25 किलोमीटर दूर सोनपुर गांव में पांच साल पहले पुलिस बेस कैंप के खुलने के बाद यहां के ग्रामीणों को नक्सलियों की दहशत और भय से मुक्ति मिली है. जिसका असर यहां आयोजित क्रिकेट प्रतियोगिता में नजर आया. जहां पर पिछले सालो में ले देकर 5 से 8 टीमें ही भाग लेने आती थी वही इस बार अबूझमाड़ के साथ ही नारायणपुर जिला मुख्यालय सहित 24 टीमें क्रिकेट खेलने सोनपुर पहुचीं जो इस क्षेत्र से नक्सली भय और दहशत दूर होने की और इशारा करती है.
युवाओं में उदासी
अबूझमाड़ के आसपास के गांवों के युवाओं के लिए अपनी खेल प्रतिभा का लोहा मनवाने का अवसर सोनपुर में ही मिलता है. क्योंकि आसपास के गांवों में खेल मैदान नहीं है. पिछले 15 सालों से खेलने आ रहे युवाओं का कहना है कि अबूझमाड़ के इस इलाके में अगर खेल को कोई जीवित रखा है.
सोनपुर गांव की मां दंतेश्वरी क्रिकेट क्लब के युवा है. यह आयोजन अंतिम आयोजन होने की बात सुनकर हम सभी काफी दुखी हैं. क्योंकि इसके बाद इस इलाके में खेल बंद हो जाने से हमारी प्रतिभा और आने वाले युवाओं को खेल के बारे में बता भी नही पाएंगे. इसलिए सोनपुर में खेल मैदान बनाना चाहिए.
देखना होगा युवाओं की चिंता का क्या होगा
अबूझमाड़ में जहां सिर्फ और सिर्फ गोलियों की गूंज सुनाई देती थी. वहा अब युवाओं के खेल की गूंज से दहशत के माहौल में बदलाव की बयार की शुरुआत की झलक नजर आ रही थी, जिसे मैदान की समस्या का ग्रहण लगता नजर आ रहा है. अब देखना होगा की इस बदलाव की बयार को शासन प्रशासन से कितनी मदद मिलती है या फिर प्रशासनिक उदासीनता में कहीं खो ना जाए.