रवि भूतड़ा/बालोद: अपने जीवन में व्यक्ति जमीन को काफी महत्व देता है. इतना ही नहीं, इसके लिए लोग अपने जीवन भर की कमाई दांव पर भी लगा देते हैं. तब जाकर जीवन की सबसे महंगी खरीद (जमीन की खरीददारी) की जाती है. जमीन खरीदने के लिए लोगों को रजिस्ट्री करानी होती है. रजिस्ट्री की पूरी प्रक्रिया बैनामा रजिस्टर्ड करने पर पूरी होती है. 


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छत्तीसगढ़ शासन रजिस्ट्रेशन विभाग के पंजीयन नियमों की मानें तो आवासीय भूमि की रजिस्ट्री के लिए परिवर्तित खसरा, बी-1 की नकल और पटवारी द्वारा प्रदत्त नक्शा या ऑनलाइन जारी कम्प्यूटराइज नक्शा की जरूरत होती है. लेकिन किसी जमीन के टुकड़े की खरीदी-बिक्री हो रही तो पटवारी द्वारा जारी टुकड़े का नक्शा होना जरूरी होता है. तभी उक्त जमीन के टुकड़े का मालिकाना हक विक्रेता से क्रेता के पक्ष में ट्रांसफर होता है. यही प्रक्रिया रजिस्ट्री कहलाती है. लेकिन जमीन के खरीद-बिक्री के मामले में बालोद जिला मुख्यालय में एक अनोखा प्रकरण सामने आया है. जिसमें टुकड़े के नक्शे बगैर जमीन की रजिस्ट्री हो गई. मतलब पूरी जमीन के ऑनलाइन नक्शे के आधार पर टुकड़े की रजिस्ट्री का कारनामा बालोद जिले के पंजीयन विभाग ने कर दिखाया है. जिसके बाद इस मामले में विभाग की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं.


पंजीयन विभाग के सांठगांठ से हुई रजिस्ट्री-
इस मामले में हैरतअंगेज बात ये है कि जिला मुख्यालय के पाररास पटवारी हल्का 30 स्थित जिस खसरा पर टुकड़े की जमीन की रजिस्ट्री हुई है, वो अवैध प्लाटिंग के रूप में चिन्हित है. इसी साल के फरवरी माह में तात्कालीन एसडीएम गंगाधर वाहिले के नेतृत्व में नगर पालिका और नगर निवेश की संयुक्त टीम द्वारा अवैध प्लाटिंग के खिलाफ बड़ी कार्रवाई की गई.


टुकड़ा नक्शे के बगैर हुई रजिस्ट्री
नगर पालिका के तोड़फोड़ दस्तों ने  बुलडोजर और मजदूर ले जाकर पाररास पटवारी हल्का 30 का खसरा 639/1, 639/2, 639/3 अवैध प्लाटिंग की सड़कें तोड़कर आवागमन को बाधित किया था. इस कार्रवाई को बालोद के इतिहास में अवैध प्लाटिंग के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई के तौर पर देखा जा रहा था. बावजूद इसके पंजीयन विभाग से सांठगांठ कर टुकड़ा के नक्शा बगैर जमीन की खरीदी-बिक्री हो गई और रजिस्ट्री भी करा लिया गया. सूत्रों की मानें तो हाल ही के दिनों में टुकड़ा नक्शा के बगैर बड़ी संख्या में जमीन की खरीदी-बिक्री और रजिस्ट्री हुई है. जिसकी पतासाजी की जा रही है. फिलहाल पाररास के उक्त खसरे के अलावा झलमला पटवारी हल्का 20 का खसरा 1178/2 की खरीदी-बिक्री और रजिस्ट्री सुर्खियों में है. बताया जा रहा कि झलमला की उक्त भूमि जीवन यापन के लिए बांटी गई सिलिंग भूमि है, जिसमें अवैध प्लाटिंग की जा रही है.


नामांतरण रोकने की उठ रही है मांग
बताया जाता है कि पाररास और झलमला में उक्त जमीन जहां पर है वहां कालोनी विकसित होने जा रही है. नियम विरुद्ध रजिस्ट्री का यह पूरा खेल अवैध कालोनी निर्माण के लिए खेला जा रहा है. इसलिए बालोद जिले में ऐसे और भी ढेरों प्रकरण हो सकते हैं. जिला प्रशासन की जांच से ऐसे प्रकरण सामने आ सकते हैं. गौरतलब है कि रजिस्ट्री की निकाली गई सत्यापित प्रति के अनुसार ऑनलाइन मूल नक्शे के आधार पर टुकड़े की रजिस्ट्री अक्टूबर-नवंबर में हो गई है. लेकिन भुईंया में देखा जाए तो उक्त खसरा नंबर की जमीन अभी भी विक्रेता के नाम पर दर्ज होना दिखा रहा है. इससे यह स्पष्ट है कि नामांतरण नहीं कराया गया है. ऐसे में पंजीयन नियमों के विपरीत रजिस्ट्रीकृत उक्त जमीन के टुकड़ों का नामांतरण रोकने के मांग उठ रही है.


विभाग की कार्यप्रणाली पर उठ रहे सवाल
बिना बिक्री नकल के रजिस्ट्री मामले में विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं कि कैसे नियमों के विरुद्ध जाकर टुकड़े की रजिस्ट्री की गई है और अब जब मामले का खुलासा हुआ तो जिला पंजीयक विभाग खुद को बचाते हुए नियम विरुद्ध हुई. रजिस्ट्रियों पर कार्यवाही और नामांतरण रोकने राजस्व विभाग को करने की बात कह रहा हैं. अब ऐसे में सवाल यह ही भी उठता है कि क्या पूर्व में भी बिना बिक्री नकल के रजिस्ट्री हुई है क्या?


नहीं होगी अवैध प्लाटिंग की रजिस्ट्री
नियमानुसार रजिस्ट्री हुई है, अब आगे की कार्यवाही और नामांतरण को रोकने की प्रक्रिया राजस्व विभाग करेगा, रही बात अवैध प्लाटिंग पर रजिस्ट्री की तो एसडीएम को पत्र लिखा गया है, अवैध प्लाटिंग के चिन्हित क्षेत्र एवं खसरा नम्बर की जानकारी प्रदान करने, अवैध प्लाटिंग की रजिस्ट्री नहीं की जाएगी.