बलरामपुर में जंगल की जमीन पर कब्जे की होड़, 100 से ज्यादा पेड़ों की कटाई, जानिए पूरा मामला
छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में वन विभाग की जमीन पर अवैध तरीके से पेड़ों को काटने का मामला सामने आया है. बताया जा रहा है कि 100 से भी ज्यादा पेड़ों को काटकर जमीन पर अवैध मकान बना लिए गए हैं. जबकि वन विभाग इस मामले में पूरी तरह से लापरवाह बना रहा.
शैलेंद्र सिंह/बलरामपुर। छत्तीसगढ़ के बलरामपुर जिले में वन विभाग की एक बड़ी नाकामी सामने आई है. जहां वन विभाग की नाकामी की वजह से ग्रामीणों द्वारा 100 से ज्यादा पेड़ों की कटाई कर करीब 10 एकड़ से ज्यादा की वन भूमि पर अतिक्रमण कर लिया गया है. इतना ही नहीं इस जमीन पर दर्जन भर से ज्यादा घरों का निर्माण भी कर लिया गया है. जिसमें वन विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है. वही पेड़ों की अवैध कटाई के बाद मौके पर पहुंचे वन विभाग के अधिकारी अब मामले में कार्रवाई की बात कहते हुए नजर आ रहे हैं.
दरअसल, ये पूरा मामला जिले में बलरामपुर राजपुर वन परिक्षेत्र के भेंडरी गांव से लगे हुए जंगल का है, जहां पर वन विभाग की नाकामी की वजह से अटौरी और बेलसोता गांव के ग्रामीणों द्वारा वन अधिकार पत्र के लालच में भेंडरी गांव की सीमा से लगे जंगल में 100 से अधिक हरे भरे पेड़ों को काटकर जंगल की 10 एकड़ से ज्यादा की जमीन पर अतिक्रमण कर लिया गया. ग्रामीण इस जमीन पर खेती किसानी के कर रहे हैं, इतना ही नहीं ग्रामीणों ने यहां मकान भी बना लिए हैं. जिसमें कुछ ग्रामीण तो सालों पहले से जंगल की जमीन पर काबिज है तो कुछ ग्रामीण हाल फिलहाल में जंगलों की कटाई कर यहां बसे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि वन विभाग इतने सालों से क्या कर रहा था.
ग्रामीण कर रहे जंगल की रखवाली
जंगल में अवैध कटाई को लेकर वन विभाग मौन बैठा हुआ था, वही अब भेंडरी गांव के ग्रामीणों ने जंगल की अवैध कटाई को रोकने के लिए मोर्चा खोल दिया है और सैकड़ों ग्रामीण जंगल के किनारे टेंट लगाकर जंगल की रखवाली कर रहे हैं. ग्रामीणों का कहना है कि उन्होंने इसकी शिकायत वन विभाग से की थी लेकिन विभाग सिर्फ कार्रवाई के नाम पर आश्वासन ही देते आ रहा था, जिससे नाराज ग्रामीणों ने जंगल और जमीन को बचाने के लिए खुद मोर्चा खोल दिया है.
दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग
ग्रामीणों ने बताया कि दूसरे गांव के लोग आकर हमारे गांव से लगे हुए जंगल को काटकर फारेस्ट की जमीन पर अवैध तरीके से अतिक्रमण कर रहे हैं और फारेस्ट विभाग द्वारा लगाए गए प्लान्टेसशन को भी नस्ट कर दिया गया है. जिससे शासन को लाखों रुपए का नुकसान भी हुआ है, इसके साथ ही फारेस्ट द्वारा किये गए फेन्सिंन के पोल उखाड़कर नाले में फेंक दिए गए हैं. जिसके विरोध में भेंडरी गांव के ग्रामीण लामबंद होकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. लेकिन इस मामले में वन विभाग की बड़ी लापरवाही उजागर हुई है.
वहीं जंगलों की कटाई को लेकर स्थाई वन समिति की सभापति उद्धेश्वरी पैकरा भी मौके पर पहुंची. उन्होंने मौके का मुआयना करके मामले में वन विभाग को दोषी ठहराते हुए कहा है जंगल की जमीन पर लंबे समय से अतिक्रमण का खेल चल रहा है. जिसके कारण ग्रामीणों को जंगल और जमीन की रखवाली करनी पड़ रही है, जिससे यह साबित होता है कि विभाग अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन नहीं कर पा रहा है.
जबकि मामले में ग्रामीणों के आंदोलन के बाद मौके पर पहुंची वन विभाग की टीम अब दोषियों के खिलाफ कार्रवाई करने की बात कह रही है, लेकिन सवाल यही है कि जिनको जंगल की निगरानी करने के लिए सरकार हर महीने सैलरी दे रही उनकी नकामी की वजह से अब उनके काम को ग्रामीणों को क्यों करना पड़ रहा है और अगर समय रहते विभाग अवैध कटाई पर रोक लगा पाता तो आज शायद सैकड़ो पेड़ों की कटाई नहीं होती. वहीं जिले में यह मामला अब तूल पकड़ता नजर आ रहा है.