नसबंदी के बाद हुआ महिला को 5वां बच्चा, बिलासपुर हाईकोर्ट ने इस पर सुनाया बड़ा फैसला
महिला की नसबंदी फेल होने के बहुचर्चित मामले में शासन की अपील पर हाईकोर्ट का 24 साल पुराने केस में बड़ा फैसला आया है.
बिलासपुर: महिला की नसबंदी फेल होने के बहुचर्चित मामले में शासन की अपील पर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला आया है. अपने इस बड़े फैसले में नसबंदी फेल हो जाने पर मिलने वाले 51 हजार रुपये के हर्जाने को निरस्त कर दिया है. दरअसल ये पूरा मामला 24 साल पुराना साल 1998 का है. उस समय गरियाबंद जिले में परिवार नियोजन के कार्यक्रम के तहत 77 महिलाओं की नसबंदी की गई थी. जिसमें एक महिला की नसबंदी फेल हो गई थी.
महिला ने जिसके बाद उसने निचली अदालत में याचिका दायर की थी. कोर्ट में महिला ने चौथे के बाद 5वां बच्चा पैदा होने की याचिका निचली अदालत में दायर की थी.
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1 लाख 51 हजार का मांगा जुर्माना
महिला ने निचली अदालत में ऑपरेशन में लापरवाही बरतने के मामले में 1 लाख 51 हजार रुपये का हर्जाना मांगा था. जिसके बाद निचली अदालत ने महिला के पक्ष में फैसला देते हए महिला को 51 हजार रुपये का हर्जाना देने का आदेश जारी कर दिया था. लेकिन शासन ने उस वक्त महिला को बतौर हर्जाना राशि तो दे दी थी लेकिन इसके साथ ही उन्होंने अदालत के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील भी कर दी थी.
शासन ने रखी थी कोर्ट में ये बात
राज्य शासन ने अपनी याचिका में तीन तर्कों पर अपनी बात कही थी. इसमें कहा गया कि महिला से नसबंदी के पहले सहमति पत्र भरा लिया था. इसके साथ ही महिला ने पांचवा बच्चा पैदा होने के बाद ये याचिका लगाई थी. इससे यह साबित होता है कि महिला परिवार नियोजन चाहती ही नहीं है.
हाईकोर्ट ने सुनाया बड़ा फैसला
शासन की इस अपील और तर्कों को मानते हुए जस्टिस पी सेम कोशी के सिंगल बेंच ने निचली अदालत के फैसले को निरस्त करते हुए साथ ही 51 हजार रुपये हर्जाना देने के निचली अदालत के आदेश को भी निरस्त कर दिया.