शैलेंद्र सिंह ठाकुर/बिलासपुर: बुधवार को बिलासपुर हाईकोर्ट में दो अहम मामले में सुनावाई हुई. इनमें से एक का संबंध में बिलासपुर में कांग्रेस भवन से और एक का संबंध सरकार निलंबित आईपीएस रजनेश सिंह के निलंबन मामले जुड़ा है. इन केसों में कोर्ट ने एक में भूपेश सरकार के पक्ष में फैसाला सुनाया तो एक में कांग्रेस को राहत दी.


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पहला मामला आईपीएस रजनेश सिंह का
क्या है मामला?

IPS रजनेश सिंह साल 2014 से 2017 तक एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) में SP रहे. इस दौरान उन्होंने नियमों की अनदेखी कर आम नागरिकों का फोन टेपिंग कराया था और इसके माध्यम से जानकारी हासिल कर उसे बतौर साक्ष्य कोर्ट में प्रस्तुत किया था. इसके अलावा उन पर शासन को गुमराह करते हुए अपने पद और कर्तव्यों का दुरुपयोग करने का आरोप है. इन सभी आरोपों पर राज्य शासन ने विभागीय जांच के आदेश दिए और उन्हें 9 फरवरी 2019 को सस्पेंड कर दिया.


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विवाद क्यों?
रजनेश सिंह ने अपने निलंबन आदेश को जारी रखने के आदेश के खिलाफ पहले केंद्र सरकार के सामने अपील की, जिसे केंद्र सरकार ने गुणदोष के आधार पर खारिज कर दिया. इसके बाद उन्होंने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण के समक्ष केस दायर किया. अधिकरण ने 16 नवंबर 2021 को राज्य शासन के आदेश को अखिल भारतीय सेवा ( अनुशासन और अपील ) नियम 1969 की नियम 3 ( 1B ) का उल्लंघन माना था और रजनेश सिंह के पक्ष में सभी देयकों का लाभ देने का आदेश दिया था. इस आदेश के खिलाफ राज्य सरकार ने हाईकोर्ट में अलीप दायर की थी.


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कोर्ट ने क्या फैसला दिया
चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी और जस्टिस पार्थ प्रीतम साहू की डिवीजन बेंच ने कहा है कि, राज्य शासन की ओर से रजनेश सिंह निलंबन आदेश को यूनियन पब्लिक सर्विस के नियमों का उल्लंघन नहीं माना जा सकता. कोर्ट ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण (कैट) से उनके पक्ष में दिए गए फैसले को खारिज कर दिया है.


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दूसरा मामला बिलासपुर में कांग्रेस कार्यालय का
क्या है मामला?

बिलासपुर कांग्रेस भवन के लिए भूमि आबंटन पुराना बस स्टैंड में की गई थी. जमीन आवंटन की प्रक्रिया को चुनौती देते हुए एक जनहित याचिका हाईकोर्ट से समक्ष लगाई गई थी. इसमें प्रक्रिया के आधार पर आबंटन नहीं होने पर इसे खारिज करने की मांग की गई थी.


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कोर्ट ने किया आदेश दिया?
कांग्रेस भवन के लिए भूमि आबंटन के मामले में लगाई गई जनहित याचिका को कोर्ट ने दुरुस्त नहीं पाया और इसे पहली सुनावाई में ही खारिज कर दिया. इस आदेश से कांग्रेस भवन के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है.