शैलेंद्र सिंह ठाकुर/ बिलासपुर। Bilaspur High Court: शनिवार को एक वन मंडल से जुड़े एक मामले में छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में सुनावई करते हुए अधिकारियों को निटिस जारी किया है. इसमें वनरक्षक के निलंबल को लेकर कोर्ट ने अधिकारियों से अपना उत्तर देने के लिए कहा है. इसके साथ ही इस पूरे मामले में अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर कार्रवाई करने के मामले में सीसीएफ को भी पार्टी बनाया गया है.


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क्या है मामला
मामला वनरक्षक प्रियंका के नलंबन मामले से जुड़ा है. प्रियंका रैपिड एक्शन फोर्स उड़नदस्ता दुर्ग के मुख्य वनसंरक्षक कार्यालय में पदस्थ हैं. उन्हें 04 अगस्त 2022 को यह आरोप लगाते हुए कि नलंबित कर दिया गया था कि वो लगातार कार्य पर अनुपस्थित हैं. इसके बाद इनका मुख्यालय राजनांगांव कर दिया गया.


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निलंबन के खिलाफ कोर्ट पहुंची थी प्रियंका
उक्त आदेश के खिलाफ उन्होंने वकील मतीन सिद्दीकी और संदीप सिंह के माध्यम से उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका प्रस्तुत की. याचिका में यह उल्लेख किया गया कि वनरक्षक का नियुक्तिकर्ता अधिकारी डीएफओ होता है और वर्तमान में इन्हें सीसीएफ कार्यालय में संलग्न किया गया था. यदि इनके खिलाफ कोई भी कार्रवाई करनी है, तो इसका अधिकार डीएफओ को हैं, न कि सीसीएफ को.


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क्या कहते हैं वनरक्षक से जुड़े नियम
साथ ही याचिका में यह भी उल्लेखित किया गया कि छत्तीसगढ़ सिविल सेवा ( वर्गीकरण, नियन्त्रण व अपील) नियम, 1966 की अनुसूची में यह उल्लेख किया गया है कि वनरक्षक के लिए नियुक्तिकर्ता अधिकारी डीएफओ होगा एवं कोई भी कार्यवाही के लिए डीएफओ ही प्राधिकृत अधिकारी है तथा सीसीएफ उसका अपीलीय अधिकारी होता है.


चूंकी याचिकाकर्ता के मामले में अपीलीय अधिकारी ने आदेश पारित किया है. इसलिए उपरोक्त नियम-9 के अन्तर्गत, जिसमें कि अपील का प्रावधान है. याचिकाकर्ता के मामले में अपील नहीं होगी. याचिका में यह भी उल्लेख किया गया कि सीसीएफ याचिकाकर्ता से दुर्भावना रखते हैं, और उन्हें बार-बार परेशान किया जा रहा है और जो आरोप लगाए हैं कि वह कार्यालय से अनुपस्थित रहती हैं, पूर्णतः गलत है.


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सीसीएफ को बनाया गया पार्टी
चूंकि याचिकाकर्ता रैपिड एक्शन फोर्स उड़नदस्ता विंग में कार्यरत हैं, इसलिए ज्यादातर उनकी उपस्थिति फील्ड में रहती है. साथ ही साथ जुलाई माह में उन्हें अनुपस्थित बताया जा रहा है, जबकि जुलाई माह के पूर्ण वेतन इन्हें दिया गया है. जिससे यह प्रतीत होता है कि वह अनुपस्थित नहीं रही हैं. चूंकि याचिकाकर्ता ने सीसीएफ के खिलाफ दुर्भावना का आरोप भी लगाया है, इसलिए उन्हें नाम से भी पार्टी बनाया गया है.