CG NEWS: बिलासपुर हाईकोर्ट ने डीजे के बाद अब प्रेशर हॉर्न और बिना साइलेंसर वाले वाहन समेत दूसरे ध्वनि प्रदूषण पर सख्ती दिखाई है. डीजे के साथ ही गाड़ियों से होने वाले ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए सरकार शपथ पत्र के जरिए जवाब मांगा है. इस केस की सुनवाई 20 नवंबर को होगी. डीजे के शोर से आम लोगों को हो रही परेशानियों को लेकर हाईकोर्ट ने खुद से संज्ञान लिया था. साथ ही जनहित के मसले पर सुनवाई शुरू की है. इसमें पिछली सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को शपथ पत्र के साथ जवाब देने के लिए कहा था. 


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हाईकोर्ट के इस सख्त रवैए को देखते हुए राज्य सरकार ने डीजे संचालकों पर कार्रवाई करने के लिए अभियान चलाया. कार्रवाई अभियान के अलावा सरकार ने डीजे के रजिस्ट्रेशन की कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है. इसी बीच, छत्तीसगढ़ नागरिक संघर्ष समिति ने हाईकोर्ट में हस्तक्षेप याचिका दायर की है, जिसमें ध्वनि प्रदूषण को लेकर भी हस्तक्षेप करने की अपील की गई है. साथ ही बताया गया है कि ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए सरकार ने कार्रवाई करने के लिए नियम बनाए हैं, जिसका पालन नहीं हो पा रहा है. 


परेशानी का सबब बन रहे हॉर्न
याचिका में ध्वनि प्रदूषण की कई तस्वीरें भी पेश की गई हैं, जिसमें सभी मानदंडों और नियमों-कानूनों का उल्लंघन करते हुए लाउडस्पीकर के कारण होने वाली परेशानियां शामिल हैं. हस्तक्षेप याचिका में कई ऐसे उदाहरण बताए गए हैं, जो लोगों के लिए असुविधा का कारण बन रहे हैं. जब लोग सड़क पर चलते हैं या जिनके घर सड़क और शॉपिंग सेंटर के किनारे हैं, उनके लिए वाहनों के हॉर्न परेशानी का सबब बन रहे हैं. 


20 नवंबर तक सरकार से मांगा जवाब
ऐसे ही बिना साइलेंसर वाले वाहन, दोपहिया वाहन के फर्राटा भरने से लोगों को परेशानियां होती हैं. चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा की डिवीजन बेंच ने इस हस्तक्षेप याचिका को गंभीरता से लिया है. उन्होंने 20 नवंबर तक प्रेशर हॉर्न और बिना साइलेंसर वाले दोपहिया वाहनों द्वारा पैदा किए जा रहे खतरे को रोकने के लिए राज्य सरकार द्वारा उठाए गए कदम पर चीफ सेक्रेटरी को शपथ पत्र पेश करने के लिए कहा है.


रिपोर्ट: शैलेंद्र सिंह ठाकुर, बिलासपुर