रायपुर/तृप्ति सोनी: मंगलवार को छत्तीसगढ़ की भूपेश सरकार ने प्रदेश के सभी स्वास्थ्य कर्मचारियों पर ESMA लागू कर दिया है. इसके बाद से प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मचारियों और संविदा कर्मचारियों में सरकार के प्रति विरोध बढ़ गया है. संविदा कर्मचारियों का कहना है कि सरकार ने हड़ताल तोड़ने के लिए ऐसा किया है. बता दें कि प्रदेश के स्वास्थ्य कर्मचारियों की मांगें पूरी नहीं होने पर कुछ दिनों पहले स्वास्थ्यकर्मी हड़ताल पर चले गए थे. इस बीच TS सिंहदेव की समझाइश के बाद हड़ताल स्थगित कर दी गई थी, लेकिन संविदाकर्मियों की हड़ताल जारी है. 


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जारी हुआ आदेश
छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से मंगलवार रात एम्सा का आदेश जारी किया गया है. राज्य शासन के गृह विभाग की ओर से जारी आदेश के मुताबिक 'लोक स्वास्थ्य' (छत्तीसगढ़ स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग) से संबद्ध समस्त काम और स्वास्थ्य सुविधाओं की अत्यावश्यक सेवाओं में कार्यरत डॉक्टर, नर्स, स्वास्थ्यकर्मी, एम्बुलेंस सेवाओं में कार्यरत अधिकारी एवं कर्मचारियों की ओर से काम करने से इनकार किए जाने को बैन कर दिया है.यानी अब हड़ताल पर गए कर्मचारियों के खिलाफ नौकरी से निकाले जाने तक की कार्रवाई भी हो सकती है. आदेश जारी होने के बाद नाराज  संविदा कर्मचारियों ने बुधवार को जल सत्याग्रह करने का एलान किया है. 


जानें क्या है ESMA
ESMA का फुलफॉर्म  Essential Services Maintenance Act है. यानी आवश्‍यक सेवा अनुरक्षण कानून, जो कि हड़ताल को रोकने के लिए लगाया जाता है. इसके लागू होने के बाद अगर कोई कर्मचारी हड़ताल पर जाता है तो वह अवैध‍ और दण्‍डनीय है. ऐसे में कानून का उल्लंघन करते हुए हड़ताल पर गए कर्मचारियों के खिलाफ सरकार नौकरी से बर्खास्त करने तक की कार्रवाई कर सकती है. 



 


आज होगा जल सत्याग्रह
एस्मा के विरोध में प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ ने सरकार के खिलाफ आरोप लगाते हुए बुधवार को जल सत्याग्रह पर जाने का फैसला लिया है.  प्रदेश स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के महामंत्री अश्वनी गुर्देकर ने कहा कि सरकार तानाशाही रवैया दिखा रही है. वैसे ही स्वास्थ्य विभाग का काम हमेशा अनिवार्य सेवा के अंतर्गत आता ही है इसलिए एस्मा लगाया जाना उतना प्रभावशील नहीं होगा. कर्मचारियों को इससे घबराने की आवश्यकता नहीं है.