CG Politics: फूलोदेवी नेताम ने महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से दिया इस्तीफा, बनने वाली हैं मंत्री
Chhattisgarh News: छत्तीसगढ़ की राजनीतिक गलियारों से इस वक्त बड़ी खबर आई है. प्रदेश की महिला कांग्रेस अध्यक्ष फूलोदेवी नेताम ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. चुनाव से पहले उनका ये कदम काफी सवाल खड़े कर रहा है.
Phoolodevi Netam Resigns: छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बार फिर बड़ी उठापटक होती नजर आ रही है. प्रदेश अध्यक्ष मोहन मरकाम के बाद अब राज्य की महिला कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष और सांसद फूलोदेवी नेताम ने आज अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. उनके इस्तीफे से एक बार प्रदेश में सियासी हलचल तेज हो गई है. हाल ही में छत्तीसगढ़ PCC चीफ भी बदले हैं. इसके अलावा मंत्रियों का भी फेरबदल हुआ है.
कारण का नहीं हुआ खुलासा
महिला कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष और सांसद फूलोदेवी नेताम ने राष्ट्रीय महिला कांग्रेस अध्यक्ष निटा डिसूजा को अपना इस्तीफा भेजा है. हालांकि, अब तक इस्तीफा देने के कारणों का खुलासा नहीं हुआ है. लेकिन उनके इस्तीफे से कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं.
कौन हैं फूलोदेवी
फूलोदेवी नेताम वर्तमान में राज्यसभा सांसद है. वे बस्तर संभाग के कोंडागांव की रहने वाली हैं और वरिष्ठ आदिवासी नेताओं में उनकी गिनती होती है. वे पिछले सात सालों से महिला कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद पर पदस्थ हैं.
क्या फूलोदेवी भी बनेंगी मंत्री?
हाल ही में छत्तीसगढ़ के कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष में भी बदलाव हुआ है. मोहन मरकाम के इस्तीफे के बाद दीपक बैज के हाथों में प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंपी गई है. इसके बाद मोहन मरकाम को मंत्री डॉ.प्रेमसाय टेकाम की जगह देते हुए मंत्री बना दिया गया. ऐसे में अब राजनीतिक गलियारों में चर्चाएं हो रही हैं कि आदिवासी वर्ग से आने वाली दिग्गज नेता फूलोदेवी को भी भूपेश सरकार में मंत्री पद मिल सकता है.
बस्तर और आदिवासी पर सरकार का फोकस
हाल-फिलहाल में प्रदेश में हो रही राजनीतिक हलचल पर नजर डाली जाए तो साफ जाहिर हो रहा है कि प्रदेश सरकार आदिवासी वर्ग पर फोकस कर रही है. खासतौर पर बस्तर संभाग में, जहां सबसे ज्यादा आदिवासी हैं. मोहन मरकाम, दीपक बैज और फूलोदेवी- तीनों ही बस्तर संभाग से आते हैं और आदिवासी नेता हैं. प्रदेश की 90 विधानसभा सीट में से 29 सीटें आदिवासियों के लिए रिजर्व हैं. इनमें से 12 सीट बस्तर संभाग के जिलों में आती है. बस्तर संभाग हमेशा से कांग्रेस का गढ़ माना जाता है, लेकिन आगामी चुनाव में BJP ने आदिवासियों के धर्मांतरण का मुद्दा जोरों से उठाया है. ऐसे में अपनी पैठ मजबूत करने के लिए कांग्रेस आदिवासी वर्ग और नेताओं पर ज्यादा ध्यान दे रही है.