Chhattisgarh News: श्रीपाल यादव/रायगढ़। सरकारी पैसों का लापरवाही से उपयोग के कारण हमेशा ही जनता को समस्याओं का सामना करना पड़ता है. इसका ताजा उदाहरण छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले से आया है. जहां, 15 साल पहले शुरू की गई केलो परियोजना (kelo project) में अब तक करीब 900 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं. लेकिन, इससे एक रुपये का भी फायदा नहीं हुआ. यानी आफटपुट जीरो रहा है. अब जिम्मेदार इसे 2023 के अंत तक पूरा करने की का दावा कर रहे हैं. जानें परियोजना की पूरी कहानी...


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समय से पहले हो गया उद्घाटन
साल 2007 में राजगढ़ में केलो नदी पर छत्तीसगढ़ के पूर्व मंत्री स्वर्गीय दिलीप सिंह जूदेव के नाम पर जल संसाधन विभाग ने केलो परियोजना की शुरुआत की गई. तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने साल 2007 में लगभग 550 करोड़ से की लागत से बनने वाले इस परियोजना का भूमि पूजन किया. लेकिन, 2014 में चुनाव के वजह से डैम पूरा होने के बाद ही आधे अधूरे नहर के साथ ही इस योजना को पूरा बता कर डैम का उद्घाटन कर दिया गया.


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सूखे पड़े हैं खेत
इस परियोजना में कुल जल संग्रहण की 920 वर्ग किलोमीटर जल संग्रहण किया जाना है. ताकि रायगढ़ शहरवासियों को पेयजल पेयजल, जिले के उद्योगों को पानी के साथ ही रायगढ़ के 167 गांव और जांजगीर 8 गांवों के किसानों को सिचाई के लिए पानी मिल सके. लेकिन, काम अभी तक अधूरा ही है. ऐसे में किसानों के खेत आज भी पानी मिलने का इंतजार में सूखे पड़े हुए है.


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कोर्ट में लंबित हैं कई मामले
किसानों का भूमि अधिग्रहण का मामला कोर्ट में लंबित है व कई किसानों का मुआवजा राशि जैसे केस अभी भी कोर्ट में प्रक्रियाधीन है. इस कारण केलो परियोजना और अधिक समय लग रहा है. स्थानीय लोगों और किसानों का कहना है कि साल दर साल गुजर गए किसानों की खेतों तक पानी नहीं पहुंच पाया है. केवल उद्योगों को हर वर्ष पर्याप्त पानी मिल रहा है. जिस वर्ग को सबसे अधिक पानी की जरुरत है उसे अब तक पानी नहीं पहुंचाया गया है.


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क्या कह रहे हैं अधिकारी
केलो परियोजना के अधिकारी का कहना है कि डैम का काम वर्ष 2014 में पूरा किया जा चुका है. मुख्य नहर और शाखा नहर का काम लगभग पूरा है. वितरक नहर के लगभग 5 किलोमीटर का काम पूरा किया जाना है. पूरी परियोजना के लिए वर्ष 2023 के दिसंबर तक का टारगेट दिया गया है.


500 से 900 करोड़ हुआ बजट
लगभग 500 करोड़ रुपए से इस परियोजना की शुरुआत की गई थी. समय के अनुसार अब लगभग 891 करोड रुपए का बजट बढ़ चुका है. क्योंकि जमीन अधिग्रहण में लेटलतीफी और सामानों के मूल्यों में वृद्धि के कारण केलो परियोजना का बजट बढ़ा है. लगभग 35 हेक्टेयर भूमि का जमीन अधिग्रहण अभी किया जाना है जिसके लिए प्रक्रिया चल रहा है. यानी इसका बजट अभी और भी बढ़ना तय है.


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