Chhattisgarh Reservation Bill: देवेंद्र मिश्रा/धमतरी। छत्तीसगढ़ में इन दिनों आरक्षण की राजनीति जोरों पर है. एक तरफ पक्ष तो एक तरफ विपक्ष है. इस बीच सरकार ने जब विधेयक राज्यपाल के पास भेजा तो उन्होंने साइन नहीं किया. अब इस मामले में राज्यपाल अनसुइया उईके का बड़ा बयान सामने आया है. जानिए माहामहिम ने बिल में अब तक साइन न करने की क्या वजह बाताई. आखिर आरक्षण संशोधन विधयक में राज्यपाल कब हस्ताक्षर करेंगी.


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विभिन्न पहलुओं की ले रही हैं जानकारी
महामहिम राज्यपाल अनसुइया उईके ने कहा कि आदिवासियों ने आरक्षण की मांग को लेकर राज्यव्यापी आंदोलन किया. तब खुद राज्यपाल ने सरकार को विशेष सत्र आहूत कर, बिल पारित करने की सलाह दी थी. राज्यपाल ने बताया कि अभी बिल उनकी टेबल पर है, इस मामले में विभिन्न वर्ग और जाति समुदाय वालों के भी आवेदन मिले हुए है. वो अभी सभी पहलुओं को जानने की कोशिश कर रही हैं.


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जानकारी से संतुष्टि पर किए जाएंगे हस्ताक्षर
राज्यपाल ने कहा कि इससे पहले 2012 में 58 फीसदी आरक्षण वाले बिल को कोर्ट ने अवैधानिक करार दिया था. इन परिस्थितियों में नए आरक्षण बिल पर सरकार की तैयारी कितनी है. रोस्टर की क्या स्थिति है इनकी भी जांच और जानकारी जरूरी है. इसी कारण समय लग रहा है. आरक्षण के सभी पहलुओं की जानकारी से संतुष्ट होने के फौरन बाद इस पर हस्ताक्षर कर दिए जाएंगे.


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बालोद प्रवास पर पहुंची थी राज्यपाल
राज्यपाल अनुसुइया उइके बालोद जिले के राजाराव पठार के प्रवास के दौरान पीडब्ल्यूडी रेस्ट हाउस में अल्प विश्राम के लिए रुकीं थी. इस अवसर पर महापौर विजय देवांगन, एसपी प्रशांत ठाकुर और जिला पंचायत की सीईओ प्रियंका महोबिया ने उनसे मुलाकात की तथा जिले में शासन की योजनाओं के क्रियान्वयन एवं प्रशासनिक गतिविधियों के संबंध में जानकारी दी. यहां से राज्यपाल राजाराव पठार में आयोजित वीर मेला में शिरकत करने के लिए रवाना हो गईं.


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किस कारण खत्म हुआ आरक्षण
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने 19 सितम्बर को फैसला सुनाते हुए 58% आरक्षण को असंवैधानिक बताकर खारिज कर दिया था. उसके बाद से छत्तीसगढ़ में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए कोई आरक्षण रोस्टर नहीं बचा. इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए सरकार ने विधानसभा का विशेष सत्र बुलाकर आरक्षण संबंधी दो संशोधन विधेयक पारित कराए. इसमें आरक्षण को बढ़ाकर 76% कर दिया गया था.


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