छत्तीसगढ़ के शिवरीनारायण में अब जीवंत होगी किंवदंतियां, CM बघेल 10 को करेंगे लोकार्पण
इस विष्णुकांक्षी तीर्थ का संबंध शबरी और नारायण होने के कारण इसे शबरी नारायण या शिवरीनारायण कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इसी स्थान पर माता शबरी ने वात्सल्य वश बेर चखकर मीठे बेर रामचंद्र जी को खिलाए थे.
रायपुरः छत्तीसगढ़ से जुड़ी भगवान श्रीराम के वनवास काल की स्मृतियों को सहेजने तथा संस्कृति एवं पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा राम वन गमन पर्यटन परिपथ परियोजना शुरू की गई है. चंदखुरी के बाद अब शिवरीनारायण में भी विकास कार्य पूरा हो चुका है. जिसका लोकार्पण 10 अप्रैल को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल करेंगे. इसके लिए तीन दिवसीय भव्य राष्ट्रीय समारोह का शुभारंभ आज शिवरीनारायण में रंगारंग कार्यक्रमों के साथ हुआ.
सीएम भूपेश बघेल करेंगे शिवरीनारायण के विकास कार्यों का लोकार्पण
जांजगीर-चांपा जिले में प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण शिवनाथ, जोंक और महानदी का त्रिवेणी संगम स्थल शिवरीनारायण है. इस विष्णुकांक्षी तीर्थ का संबंध शबरी और नारायण होने के कारण इसे शबरी नारायण या शिवरीनारायण कहा जाता है. ऐसी मान्यता है कि इसी स्थान पर माता शबरी ने वात्सल्य वश बेर चखकर मीठे बेर रामचंद्र जी को खिलाए थे. यहां नर-नारायण और माता शबरी का मंदिर है. जिसके पास एक ऐसा वट वृक्ष है, जिसके पत्ते दोने के आकार के हैं. चंदखुरी के बाद अब शिवरीनारायण में भी विकास कार्य पूरा हो जाने से राज्य में पर्यटन तीर्थों की नयी श्रृंखला आकार लेने लगी है. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल 10 अप्रैल को शिवरीनारायण के विकास कार्यों का लोकार्पण करेंगे.
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मानस गायन की प्रतियोगिता का हुआ आयोजन
तीन दिवसीय कार्यक्रम के उद्घाटन समारोह में मानस गायन की राज्य स्तरीय प्रतियोगिता का आयोजन किया गया. विजयी प्रतियोगियों को समापन समारोह में मुख्यमंत्री पुरस्कृत करेंगे. वहीं आज छत्तीसगढ़ की स्वर कोकिला पद्मश्री ममता चंद्राकर ने गायन की प्रस्तुति दी. कार्यक्रम की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के अध्यक्ष महंत रामसुंदर दास ने की.
2019 में भूमिपूजन कर हुई थी शुरुआत
आपको बता दें कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने चंदखुरी स्थित माता कौशल्या मंदिर में वर्ष 2019 में भूमिपूजन कर राम वनगमन पर्यटन परिपथ के निर्माण की शुरूआत की थी. इस परिपथ में आने वाले स्थानों को रामायणकालीन थीम के अनुरूप सजाया और संवारा जा रहा है. छत्तीसगढ़ शासन की इस महात्वाकांक्षी योजना से भावी पीढ़ी को अपनी सनातन संस्कृति से परिचित होने के अवसर के साथ ही देश-विदेश के पर्यटकों को उच्च स्तर की सुविधाएं भी प्राप्त होगी.
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33 करोड़ रुपये से विकसित हो रहा पथ
राम वन गमन पथ पर्यटन योजना में सीतामढ़ी हरचौका (कोरिया), रामगढ़ (सरगुजा), शिवरीनारायण (जांजगीर-चांपा), तुरतुरिया (बलौदाबाजार), चंदखुरी (रायपुर), राजिम (गरियाबंद), सिहावा सप्तऋषि आश्रम (धमतरी), जगदलपुर (बस्तर) और रामाराम (सुकमा) शामिल हैं. 133 करोड़ 55 लाख रुपये की लागत से इन क्षेत्रों में पर्यटन विकास के काम मुख्यमंत्री भूपेश बघेल सरकार द्वारा कराए जा रहे हैं. श्रीराम वन गमन पर्यटन परिपथ से राज्य में न केवल ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा बल्कि पर्यटन के क्षेत्र में नए अवसर बढ़ेंगे और छत्तीसगढ़ की एक अलग पहचान बनेगी.
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