भारत सरकार ने छत्तीसगढ़ के कोंडागांव को अति नक्सल प्रभाव वाले क्षेत्र से मुक्त मान लिया है. सरकार ने जिले को नक्सल प्रभावित जिलों के नक्शे से हटा कर लेफ्ट विंग एक्सटेन्शन फंड (LWE) के तहत जारी होने वाली राशि देनी बंद कर दी है.
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कोंडागांव: सुरक्षाबलों की मेहनत, पुलिस के प्रयास और सरकार की योजनाओं के कारण छत्तीसगढ़ में लगातार नक्सलियों का प्रभाव कम हो रहा है. बीते कुछ सालों में अति नक्सल प्रभावित जिले कोंडागांव में भी नक्सल वारदातों में भारी कमी आई है. ऐसे में केंद्र सरकार ने जिले को अति नक्सल प्रभावित जिलों की सूची से हटा दिया है. हालांकि सरकार ने अभी भी हालातों को चिंताजनक माना है. मोदी सरकार ने जिले को लेप्ट विगं एक्सटेन्शन (LWE) राशि भी जारी करना बंद कर दिया है.
हालात अभी भी चिंताजनक
भारत सरकार की ओर से लेफ्ट विंग एक्सटेन्शन फंड (LWE) के तहत कोंडागांव को मिलने वाली राशि को 2022 में रोक दी गई है. कलेक्टर पुष्पेन्द्र कुमार मीणा ने बताया की भारत सरकार गृह मंत्रालय की समिति ने एल.डब्लु.ई. के तहत अति नक्सल प्रभावित जिलों की सूची में से कोंडागांव को बाहर कर दिया है. हालांकि सरकार ने जिले को वारदतों के आधार पर चिंताजनक माना है, लेकिन अति नक्सल क्षेत्र की श्रेणी से बाहर रखा गया है.
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क्या है EWE फंड
भारत सरकार, छत्तीसगढ़ के सभी नक्सल प्रभावित जिलों में 2017 से लेप्ट विगं एक्सटेन्शन (LWE) के तहत करोडों रुपए की राशि विकास के लिए देती है. ताकी इन ईलाकों में सडक, पुल, पुलिया, स्कुल, स्वास्थ्य केंद्र व अन्य सुविधाएं मुहैया करवाई जा सकें. साथ ही नक्सल प्रभावित ग्रामों को नक्सलवाद के जाल से विकास के माध्यम से मुक्त करवाया जा सके.
साल 2017 से लेकर मार्च 2022 तक की स्थिति
साल 2017- 22 नक्सली गिरफ्तार, 12 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्ण, 17 घटनाएं सामने आईं, 2 आम नागरिकों की हत्या
साल 2018- 12 नक्सली गिरफ्तार, 49 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्ण, 19 घटनाएं सामने आईं, 4 आम नागरिकों की हत्या, 5 नक्सलियों को मारा गया
साल 2019- 6 नक्सली गिरफ्तार, 1 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्ण, 8 घटनाएं सामने आईं, 1 आम नागरिकों की हत्या
साल 2020- 16 नक्सली गिरफ्तार, 13 नक्सलियों ने किया आत्मसमर्ण, 4 घटनाएं सामने आईं,
साल 2021- 7 नक्सली गिरफ्तार, किसी ने हीं नहीं किया आत्मसमर्ण, 7 घटनाएं सामने आईं, 1 आम नागरिकों की हत्या, 3 नक्सलियों को मारा गया
साल 2022- इस साल अभी तक छुटपुट 2 नक्ससली वारदातें हुई हैं. अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हो पाई है
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LWE के तहत जारी राशि
साल 2017-18 में 5 करोड़ रुपए
साल 2018-19 में 33 करोड़ 33 लाख रुपए
साल 2019-20 में 33 करोड़ 33 लाख रुपए
साल 2020-21 में 14 करोड़ 25 लाख रुपए
यानी अब कर कुल 1 अरब 76 लाख रुपए जारी हुए
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असल चुनौती अब
जब तक इन ईलाकों में नक्सलवाद अपने चरम पर था तो केंद्र सरकार राशि जारी करती रही अब यहां विकास करने की संभवानाएं बढ़ीं तो केंद्र सरकार ने राशि जारी करना बंद कर दिया. जिले में नक्सल वारदातें कम हुई है इसे लोग बेहतर मान रहे हैं, लेकिन लोगों का कहना है कि जब विकास के रास्ते खुल रहे तभी तो कामों के लिए पैसों की जरूरत थी. ऐसे में प्रशासन के पास विकास को लेकर अब असल चुनौती है.
कैसे बैकफुट पर पहुंचे नक्सली
जानकारों का मामना है कि नक्सल इलाकों में मोबाइल टावर लगने से संचार में तेजी आई है. अब हर ग्रामीण के पास मोबाइल है, जिससे वो किसी भी घटना या आशंका की सूचना प्रशासन को दे पाते हैं. लोग सोशल मीडियो से भी जुड़े है, जिससे नक्सली दूरी बना कर रखते हैं, ऐसे में आवादी वाले इलाकों से दूरी बना कर रख रहे हैं. इसके अलावा सरकार के प्रयासों से लगातार आत्मसमर्पण भी तेजी से हो रहा है.
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