Chhattisgarh के लिए किया पहला सत्याग्रह! महानायक दादा नकुल देव कौन थे? जिनकी जयंती में CM साय हुए शामिल
Who was Dada Nakul Dev Dhidhi: आज दादा नकुल देव ढीढी की 110वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय शामिल हुए. चलिए आपको बताते हैं कि सतनामी समाज के महानायक दादा नकुल देव कौन थे?
Dada Nakul Dev Jayanti: मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय शुक्रवार को महासमुंद के तुमगांव में सतनामी समाज के पुरोधा दादा नकुल देव ढीढी जी की 110वीं जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में शामिल हुए. सीएम साय ने गुरु घासीदास जयंती की शुरुआत करने वाले और अलग छत्तीसगढ़ राज्य के लिए पहला सत्याग्रह करने वाले दादा नकुल देव ढीढी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि दी. पुष्प अर्पित करने के बाद सीएम ने सभा को संबोधित किया और दादा नकुल देव को याद किया.उन्होंने गुरु घासीदास की सेवा और घोर अस्पृश्यता के युग में मानवता का संदेश देने के लिए उनको भी नमन किया.
दादा नकुल देव ढीढी कौन थे?
दादा नकुल देव ढीढी छत्तीसगढ़ के एक महान समाजसेवी और लोकहितैषी व्यक्ति थे. उन्होंने अपना जीवन समाज की सेवा में समर्पित कर दिया. उन्होंने 150 एकड़ जमीन दान में दी और बाबा गुरु घासीदास जी की जयंती की शुरुआत की. गौरतलब है कि बाबा गुरु घासीदास 18वीं शताब्दी के महान संत थे जिन्होंने समाज में व्याप्त कुरीतियों और बुराइयों को मिटाने का काम किया. सीएम साय ने दादा नकुल देव ढीढी की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी और कहा कि उन्होंने समाज को निस्वार्थ भाव से अपनी जमीन दान में देकर एक अनुकरणीय कार्य किया. उन्होंने लोगों को दादा नकुल देव ढीढी और बाबा गुरु घासीदास जी के बताए मार्गों पर चलकर समाजसेवा करने का आह्वान किया.
नकुल देव ढीढी मुख्य रूप से चार कार्यों के लिए जाने जाते हैं, गुरु घासीदास जयंती मनाने, शोषित लोगों की रक्षा के लिए संगठन बनाना, छत्तीसगढ़ राज्य के लिए पहली बार जेल जाना और छत्तीसगढ़ में अंबेडकर वादी विचारधारा का प्रचार-प्रसार करना. दादा नकुल ढीढी ने छत्तीसगढ़ में सतनामी समाज की रक्षा के लिए समता सैनिक दल का भी गठन किया था और जहां भी समाज पर अत्याचार होता था, वे समता सैनिक दल के साथ जाते थे. वह छोटे राज्य के समर्थक थे. उन्होंने 1972 में पृथक छत्तीसगढ़ के लिए आंदोलन शुरू किया. जिसके चलते वे जेल भी गये.