शैलेंद्र सिंह ठाकुर/बिलासपुर: प्रदेश के 21 सड़कों के माम पर हुआ डामर घोटाले के मामले में सोमवार को हाईकोर्ट में सुनवाई हुई. इस दौरान कोर्ट ने सरकार से कार्रवाई कार्रवाई को लेकर जवाब मांगा तो सरकार ने बताया कि डामर घोटाले पर अब PWD के तीन बड़े अधिकारियों पर FIR दर्ज की जाएगी. उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज कर जांच की जाएगा. शासन के जवाब से संतुष्ट HC ने जनहित याचिका को निराकृत कर दिया.


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2014 से की जा रही है कार्रवाई की मांग
वीरेंद्र पांडेय ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की है. इसमें बताया कि हाईकोर्ट ने साल 2019 में शासन के लिखित आश्वासन के बाद जनहित याचिका को हाईकोर्ट ने निराकृत कर दिया था. तब से इस मामले में कार्रवाई नहीं की गई है. याचिकाकर्ता 2014 से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. अब इस मामले में दोबारा जनहित दायर की गई थी. इसपर सरकार ने कोर्ट के सामने दोषियों पर FIR दर्ज करने की बात कही है, जिसके बाद अब एक बार फिर याचिका को निराकृत कर दिया गया है.


वीरेंद्र पांडेय की पहली याचिका में बताया गया है कि छत्तीसगढ़ में एशियन डेवलपमेंट की मदद से 2007 से 2012 के बीच बनाई गई सड़कों के निर्माण में बड़े पैमाने पर अनियमितता बरती गई थी. इस दौरान प्रदेश की विभिन्न् जगहों पर ठेकेदारों ने सड़कों का निर्माण कराया था.


इससे पहले की सुनवाई में किया हुआ था
बता दें कि पूर्व में कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं के तर्क पर सहमति जताते हुए सरकार को जांच और कार्रवाई के लिए समय दिया था. इसके जवाब में सरकार ने चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी की डिविजन बेंच में बताया कि इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार और दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अनुमति दी जा रही है. सुनवाई के दौरान सरकार के जवाब से असंतुष्ट हाईकोर्ट ने कहा कि सरकार उन दस्तावेजों को कोर्ट में फाइल करे, जिसमें कार्रवाई करने का उल्लेख किया गया है, साथ ही इसकी एक प्रति याचिकाकर्ता को भी उपलब्ध कराएं.