Chhattisgarh News: कोर्ट ने डीजे बजाने के लिए समय सीमा तय कर दी है, जिसके कारण पुलिस लगातार डीजे संचालकों पर कार्रवाई कर रही है. इससे नाराज डीजे संचालक प्रशासन के पास चर्चा करने पहुंचे. संचालकों को कहना है कि हमारे डीजे उपकरणों पर लगातार कार्रवाई की जा रही है और जो छोटे-छोटे साउंड सिस्टम वाले हैं, जिनकी आवाज बेहद कम है उनके ऊपर भी कार्रवाई की जा रही है. ये गलत है और अगर 10 बजे के बाद डीजे बजाया जाता है तो डीजे संचालकों के साथ-साथ जिनके घर डीजे बजाए जा रहा है उन पर भी कार्रवाई होनी चाहिए. साउंड सिस्टम संचालकों ने कहा कि परिवार पालने में दिक्कत हो रही है.


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डीजे साउंड सिस्टम यूनियन के अध्यक्ष तरुण राठी ने बताया कि ये ठीक है कि तेज आवाज वाले डीजे पर कार्रवाई की जा रही है, लेकिन छोटे-छोटे साउंड सिस्टम वाले हैं उनके ऊपर कार्रवाई की जा रही है. वह गलत है, क्योंकि इंस्ट्रुमेंटल जो बजते हैं उनकी आवाज बेहद सामान्य रहती है. उत्तरा कुमार ने बताया कि हम सब बैठक कर अपनी मांगों को रखने आए हैं. हमारे छोटे छोटे परिवार हैं और साउंड सिस्टम में कर्मचारी हैं. उनको भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, अगर इसी तरह कार्रवाई होती रही तो हम व्यापार नहीं कर पाएंगे और इतनी पाबंदियों में काम करना मुश्किल हो रहा है.


साउंड माप इतना कम, कैसे चलेगा काम
साउंड यूनियन ने बताया कि साउंड मापने की जो मापन क्षमता को इतना काम दिया गया है जिसमें डीजे तो क्या सामान्य साउंड बजाना भी काफी दिक्कतें हैं. उनकी तरफ से यह बात कही गई कि जब न्यायालय में इस विषय पर चर्चाएं हुई तो साउंड सिस्टम वालों को भी पक्षकार बनाना था ताकि वह अपनी बातों को रख सकें. जितनी क्षमता दी गई है उतने में काम करना बहुत मुश्किल हो रहा है. आज हम सब अपनी मांगों को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से बैठक किए हैं. आगे क्या होता है यह समय बताएगा. हम सब साउंड संचालकों को ऐसे में काम करने और जीवन यापन करने में दिक्कतें हो रही है.


क्यों नाराज हैं डीजे संचालक? 
आपको बता दें कि हाईकोर्ट के निर्देश के बाद डीजे और धूमाल बैंड संचालकों पर कार्रवाई की जा रही है. डीजे संचालकों की मांग है कि केंद्र और राज्य सरकार विधेयक लाकर 65 वर्ष पुराने 60 डीबी वाले कानून में आज के समय के हिसाब से संशोधन करे. साथ ही साउंड लिमिटर का प्रयोग करने वाले निर्णय को वापस लिया जाए.