chhattisgarh news-छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में एक व्यक्ति की जान अस्पताल की लापरवाही के चलते चली गई. निजी अस्पताल में न ही आईसीयू की सुविधा थी और न ही न्यूरोसर्जन था, फिर भी प्रबंधन मरीज को भर्ती रख हेड इंजरी का इलाज एनेस्थेटिस्ट से कराता रहा. जब उसकी मौत हो गई तो डेड बॉडी को सरकारी अस्पताल रैफर कर दिया. 


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दरअसल, हेड इंजरी के एक मरीज को अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां न्यूरो सर्जन के बजाए एनेस्थेटिस्ट से इलाज कराया जाता रहा. परिजनों ने जब इसे जिला अस्पताल में भर्ती कराया तो मामले का खुलासा हुआ,डॉक्टरों ने मरीज की जांच कर मृत घोषित कर दिया.


सिर में लगी थी चोट 
दरअसल सिटी कोतवाली क्षेत्र के झीतरीडूमर निवासी 44 वर्षीय नन्द कुमार ध्रुव रविवार को एक हादसे में घायल हो गया था. जिसे जिला मुख्यालय में पुराने लॉज के कमरे में संचालित सोमेश्वर अस्पताल में भर्ती कराया गया. इस अस्पताल में ना तो आईसीयू है ना न्यूरोलॉजीस्ट नियुक्त है, फिर भी पिछले तीन दिनों से हेड इंजरी के मरीज का इलाज एनेस्थिस्ट के भरोसे कराया गया. इससे मरीज हालत लगातार बिगड़ती गई और उसकी मौत हो गई. 


सरकारी अस्पताल किया रैफर 
जब मरीज की तबीयत में कोई सुधार नहीं हुआ तो परिजनों ने दूसरे अस्पताल ले जाने को कहा. लेकिन अस्पताल प्रबंधन ने छुट्टी नहीं दी. जब मामला गंभीर हुआ तो सरकारी अस्पताल रैफर कर दिया. जब परिजन उसे लेकर अस्पताल पहु्ंचे तो डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया. 


जांच शुरू
जिला नर्सिंग होम के नोडल अफसर डॉक्टर हरीश चौहान ने बताया कि अस्पताल ने डेड बॉडी रेफर किया था. पुलिस को सूचना देने के बाद विधिवत पोस्टमॉर्टम किया गया. शॉर्ट पीएम रिपोर्ट के मुताबिक निजी अस्पताल के लापरवाही से जान गई है. पूरे मामले में जांच की जा रही है दोषियों पर कार्रवाई की जाएगी.