बिलासपुर: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट में हुई एक सुनवाई के दौरान कोर्ट की टिप्पणी महिलाओं के प्रति छोटी सोच रखने वालों के लिए मिसाल बन गई है. बिलासपुर हाईकोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी और जस्टिस संजय एस अग्रवाल की पीठ ने बच्चे की कस्टडी को लेकर दायर एक याचिका पर अहम टिप्पणी की है. कोर्ट ने कहा कि किसी महिला का चरित्र उसके जींस और टी-शर्ट पहनने या पुरुष सहयोगी के साथ ऑफिस में काम करने या उनके साथ काम के सिलसिले में कहीं बाहर जाने से किसी भी महिला का चरित्र तय नहीं किया जा सकता.


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दरअसल पति ने बच्चे की कस्टडी के लिए हाईकोर्ट में एक अनोखा तर्क दिया है. कोर्ट में उसने कहा है कि उसकी पत्नी जींस-टॉप पहनकर ऑफिस जाती है. जिससे उसके बच्चे पर बुरा असर पड़ता है. इसलिए बच्चे की कस्टडी पिता को सौंपी जाए. पति-पत्नि के तलाक के बाद बच्चे की कस्टडी को लेकर बिलासपुर हाइकोर्ट के जस्टिस ने ये टिप्पणी की है. बता दें कि हाइकोर्ट के जस्टिस गौतम भादुड़ी और संजय एस. अग्रवाल की बेंच ने ये भी कहा कि महिलाओं के प्रति ऐसी सोच रखने से उनके अधिकार और आजादी की लड़ाई और भी लंबी हो जाएगी.


महिला ने अपनी पवित्रता खो दी है!
बता दें, कि महासमुंद में रहने वाले दंपती शादी के 2 साल बाद अनबन होने पर आपसी सहमति से तलाक ले लिया था. उसके बाद से बेटा मां के पास रहने लगा. पांच साल बाद पिता ने अपने बेटे की कस्टडी को लेकर फैमिली कोर्ट में अर्जी लगाई, और तर्क ये दिया कि बच्चें की मां जींस-टॉप पहन कर ऑफिस जाती है. वहां पुरुष सहयोगी के साथ काम करती है, उनके साथ बाहर जाती हैं. उसने अपनी पवित्रता खो दी है. इससे बेटे पर गलत असर पड़ रहा है.


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फैमिली कोर्ट ने भी मां के पक्ष में सुनाया फैसला
हालांकि फैमली कोर्ट ने भी इस तर्क को खारिज करते हुए मां के हक में फैसला दिया. जिसके बाद पिता ने हाईकोर्ट में इसे चुनौती दी. कोर्ट ने इस मामले को एक सिरे से नकार दिया. बेटा मां के पास रहेगा, और तकनीकी माध्यमों से पिता से भी लगातार संपर्क में रह सकता है.


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