International Labour Day Today: मजदूर दिवस (Labour Day) को मनाने की शुरुआत आज से 134 साल पहले यानी साल 1889 में हुई थी. इस दिन को मनाने का फैसला अमेरिका के शिकागो में हजारों मजदूरों के आंदोलन के बाद लिया गया. आंदोलन में कई मजदूरों की जान भी गई. 15-15 घंटे तक काम करने वाले मजदूरों की मांग थी कि उनकी मजदूरी का समय 8 घंटे निर्धारित किया जाए. साथ ही सप्ताह में एक दिन अवकाश भी मिले. 


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1886 में मजदूरों ने किया आंदोलन
साल 1886. अमेरिका के शिकागो में बड़ी संख्या में एक साथ मजदूर सड़कों पर उतर आए. मजदूरी के लिए 8 घंटे का समय निर्धारित करने और सप्ताह में एक दिन छुट्टी की मांग लेकर हजारों मजदूर हड़ताल पर बैठ गए.आंदोलन के दौरान मजदूरों पर पुलिस ने गोलियां चलाईं, जिस कारण कई मजदूरों की जान चली गई। इसके अलावा सैकड़ों घायल भी हो गए. मजदूरों के काम के लिए कोई नियम-कानून नहीं थे. न ही समय-सीमा तय थी. उनसे 15-15 घंटे तक काम लिया जाता था. 


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1889 में लिया गया फैसला
आंदोलन लगातार जारी रहा. तीन साल बाद 1889 में अंतर्राष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन की बैठक में मजदूरों के लिए बड़े फैसले लिए गए. बैठक में तय किया गया कि मजदूरों से एक दिन में 8 घंटे ही काम लिया जाएगा. इसके अलावा सप्ताह में एक दिन छुट्टी भी दी जाएगी. सम्मेलन के बाद 1 मई को मजदूर दिवस मनाने का फैसला लिया गया. अमेरिका के बाद कई देशों में मजदूरों से प्रतिदिन 8 घंटे काम लेने का नियम लागू हुआ. इसके अलावा कई देशों में 1 मई को राष्ट्रीय अवकाश भी घोषित है.


भारत में कैसे हुए मजदूर दिवस की शुरुआत
साल 1923 में आज ही के दिन लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान ने मद्रास (चेन्नई) ने भारत में मजदूर दिवस मनाने की शुरुआत की थी. लेबर किसान पार्टी ऑफ हिंदुस्तान की अध्यक्षता में इस दिन को फैसला लिया गया था, जिसे कई सारे संगंठन और सोशल पार्टी का समर्थन मिला. इसके बाद पहली बार लाल रंग का झंडा मजदूरों की एकजुटता और संघर्ष के प्रतीक के तौर पर इस्तेमाल किया गया. इसके बाद से हर साल देश में 1 मई को मजदूर दिवस मनाया जाता है. कई राज्यों में 1 मई को छुट्टी भी होती है. 


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जानें मजदूर दिवस का उद्देश्य 
हर साल मजदूर दिवस मनाने का उद्देश्य मजदूरों और श्रमिकों की उपलब्धियों का सम्मान करना और उनके योगदान को याद करना है. साथ ही मजदूरों के हक और अधिकारों के लिए आवाज उठाना और उनके शोषण को रोकना है.