Chhattisgarh News: जगदलपुर/सुकमा: छत्तीसगढ़ भारतीय जनता पार्टी की विष्णुदेव साय सरकार बनने के बाद नक्सलियों से बातचीत कर समस्या को सुलझाने का काम चल रहा है. पुलिस कैंप की स्थापना करने के साथ नक्सल क्षेत्रों में विकास का काम किया जा रहा है. ऐसे में जगदलपुर में आदिवासी संगठन भी नक्सलियों से शांति वार्ता के प्रस्ताव पर सरकार के समर्थन में आ गए हैं. वहीं दूसरी ओर सरकार नक्सलियों की राजधानी कहे जाने वाले पुवर्ती गांव में सुरक्षाबलों ने सफलतापूर्वक कैंप स्थापित कर दिया है.

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शांति वार्ता के समर्थन में आदिवासी संगठन
सरकार और नक्सल संगठन के बीच शांति वार्ता की पहल को समर्थन देना आदिवासी संगठनों ने भी शुरू कर दिया है. आदिवासी संगठनों के प्रमुखों का कहना है की अगर सरकार वार्ता के जरिए नक्सलवाद को बस्तर से खत्म करना चाहती है तो यह बेहतर रास्ता होगा. बस्तर में सुरक्षा बलों और नक्सलियों के बीच होने वाली मुठभेड़ में अक्सर बस्तर का आदिवासी ही मारा जाता है. ऐसे में शांति वार्ता की पहल बस्तर में फैली अशांति और हिंसा को खत्म करने का बेहतर उपाय होगा.

सर्व आदिवासी समाज बस्तर संभाग के अध्यक्ष प्रकाश ठाकुर भी यह मानते हैं कि बस्तर में हो रही हिंसा में हमारे ही लोग मारे जाते है. जितना जल्दी हो सके बातचीत होनी चाहिए. प्रकाश ठाकुर ने कहा शांतिवर्ता में आदिवासी समाज भी पहल करेगा. छत्तीसगढ़ सर्व आदिवासी समाज के बस्तर जिला अध्यक्ष दशरथ कश्यप ने भी शांति वार्ता का समर्थन किया है उनका कहना है कि बस्तर 4 दशक से नक्सलवाद का दंश झेल रहा है. बस्तर में आम जनता पिस रही है. शांति वार्ता किन मुद्दों पर होगी यह भी दोनों पक्षों को स्पष्ट करना चाहिए.

सुकमा में बना कैंप
नक्सलियों की राजधानी कहे जाने वाले पुवर्ती गांव में सुरक्षाबलों ने सफलतापूर्वक कैंप स्थापित कर दिया हैं. टेकेलगुड़ा में कैंप स्थापित करने के बाद महज 15 दिन बाद पुवर्ती गांव में कैंप स्थापित किया गया. एसपी किरण चव्हाण, डीआईजी सीआरपीएफ अरविंद राय सहित एसटीएफ, डीआरजी, सीआरपीएफ, कोबरा सहित 1000 से अधिक जवान कैंप में मौजूद हैं. पुवर्ती में कैंप स्थापित करने के बाद इसे टेक्टिकल हेडक्वार्टर बनाया जा रहा हैं और यही से आने वाले दिनों में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन तेज किए जाएंगे.

पुवर्ती गांव में नक्सली स्मारक बना हुआ है जिसे सुरक्षाबलों ने ध्वस्त किया. साथ ही यहां पर नक्सलियों ने भी वार जोन बनाया था. यहां रुककर नक्सली, सुरक्षाबलों के खिलाफ प्लान तैयार करते थे. साथ ही यहां पर नक्सलियों ने खेती तक कर रखी जिसमें वो अपनी बटालियन के लिए सब्जी, फल व अन्य सामग्री की पैदावार करते थे. लेकिन. अब यह इलाका पूरी तरह से सुरक्षाबलों के कब्जे में है.