Chhattisgarh News: जांजगीर चांपा। बम्हनीडीह ब्लॉक के लखुर्री गांव के एक किसान ने ओडिशा से मिले पुराने धान को सहेज कर रखा और उस धान को चावल बनाकर खाने के बजाय उसे अपने खेत में लगाना शुरू किया. अब उस धान को महेश्वरी फूल के नाम से पेटेंट करा लिया है. किसान का दावा है कि इस धान में दूसरे धान की अपेक्षा शुगर कम है. इसे परीक्षण के लिए लैब भी भेज दिया है. लैब की रिपोर्ट में अगर शुगर कम पाया जाता है तो किसान को जिले के साथ-साथ प्रदेश में एक नई पहचान दिला सकता है.


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30 साल पुराना है धान
किसान राम प्रसाद केसरवानी इन दिनों खेती किसानी के लिए विशेष पहचान बना लिया है. किसान ने अपने खेत में विशेष धान को उत्पादन किया है और 30 साल पुराने इस धान को नए तकनीक से उपजा कर बीज बढ़ाना शुरू कर दिया है. अब उस धान को महेश्वरी फूल के नाम से पेटेंट करा लिया है. किसान का दावा है कि इस धान में शुगर की मात्रा गेहूं के बराबर है जो अन्य धान की तुलना में बहुत कम है.


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पहले पेसेंट को दिया फिर लैब भेजा
इसका प्रयोग अपने पहचान के शुगर पेसेंट को देकर किया जो इस धान के चावल की खाने के बाद भी शरीर में शुगर की मात्रा कम बढ़ने का दावा करते हैं. इसके बाद इसे वैज्ञानिक विधि से परीक्षण के लिए लैब भी भेजा है.


कालाहांडी से मिला थी धान
किसान राम प्रसाद केशरवानी ने बताया कि 4 साल पहले अपने रिश्तेदार के पास ओड़िसा कालाहांडी गए थे. वहां से परिजनों ने पुराना चावल शुगर फ्री होने का दावा करते हुए खाने के लिए दिए. धान को राम प्रसाद ने खाने के बजाय अपनी खेत में उपजाना शुरू किया और अब उसी धान का चावल खुद भी खा रहे हैं और लोगों को खाने के लिए उपलब्ध करा रहे हैं. किसान ने अपने इस धान को महेश्वरी फूल नाम से पेटेंट कराया और अब इसका बीज आस पास के किसानों को उपलब्ध करा कर धान का रकबा बढ़ा रहे हैं. 


जिले के लिए गौरव की बात
कृषि वैज्ञानिक शुगर फ्री चावल के विषय में बताते है कि चावल का ग्लाइसेमिक इंडेक्स 55 या उससे कम है तभी शुगर कि मात्रा कम होगी. लैब से परीक्षण के बाद ही स्पष्ट हो पायेगा. अभी मधुराज-55 को शुगर कम होने के नाम से जाना जाता है. अगर ये धान का लैब टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आता है तो जिले के लिए गौरव की बात होंगी और शुगर पेशेंट के लिए भी लाभदायक होगा.


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अच्छी आमदनी की उम्मीद
किसान राम प्रसाद केशरवानी की मानें तो महेश्वरी फूल का प्रति एकड़ 18 क्विंटल उत्पादन होता है और इससे अभी बाजार 50 रुपये किलो के हिसाब से बिक्री किया जा रहा है. किसानों को इस धान के गुण बताया जा रहा है. इसमे जैविक खाद का उपयोग किया जा रहा है. अगर टेस्ट रिपोर्ट में धान में शुगर कम होना का प्रमाण मिल जाएगा तो इसका डिमांड बढ़ेगी और अच्छी आमदनी मिल पाएगी.