यहां किन्नर चढ़ाते हैं मां दंतेश्वरी को पहला श्रृंगार जोड़ा, ब्रह्म मुहूर्त में निभाई जाती है रस्म
भाद्रपद अमावस्या तिथि की अर्ध रात्रि में किन्नर समुदाय द्वारा जगदलपुर शहर में विशेष श्रृंगार यात्रा निकाली गई. घोड़े की बग्गी पर किन्नर समाज के प्रमुख पदाधिकारी विराजमान थे.
अविनाश प्रसाद/जगदलपुर: देशभर में शारदीय नवरात्र पर्व की धूम है. देवी मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा हुआ है. लोग अपने अपने ढंग से माई जी के प्रति अपनी श्रद्धा प्रकट कर रहे हैं. छत्तीसगढ़ राज्य के बस्तर जिले में बस्तर दशहरे के दौरान मनाया जाने वाला नवरात्र पर्व अनोखा है. यहां नवरात्र के प्रथम दिवस पर ब्रह्म मुहूर्त में किन्नर समाज के सदस्यों द्वारा यहां की आराध्य देवी मां दंतेश्वरी को पहला श्रृंगार जोड़ा अर्पित किया जाता है.
यूं तो बस्तर का दशहरा 75 दिनों तक चलता है. जिसमें दर्जनों रस्में निभाई जाती हैं. लेकिन समाज में हाशिए पर डाल दिए गए किन्नर समुदाय का बस्तर के नवरात्र में विशेष महत्व है. बस्तर का नवरात्र पर्व समाज और परंपराओं के प्रति संवेदनशीलता की अनोखी मिसाल है.
किन्नर समाज ने निकाली श्रृंगार यात्रा
भाद्रपद अमावस्या तिथि की अर्ध रात्रि में किन्नर समुदाय द्वारा जगदलपुर शहर में विशेष श्रृंगार यात्रा निकाली गई. घोड़े की बग्गी पर किन्नर समाज के प्रमुख पदाधिकारी विराजमान थे. ब्रह्म मुहूर्त में करीब 4 बजे जैसे ही मा दंतेश्वरी के मंदिर का पट खुला किन्नरों ने माई जी को प्रथम श्रृंगार सामग्री अर्पित की. पूजन के पूर्व माई जी को पहली चुनरी इसी भेंट में से चढ़ाई गई गयी.
ओडिशा से भी किन्नर आते हैं
किन्नर समाज की अध्यक्ष रिया परिहार ने बताया कि हर साल किन्नरों की श्रृंगार यात्रा में जगदलपुर के आलावा पड़ोसी राज्य ओडिशा से भी किन्नर समाज के लोग इस शोभा यात्रा में शामिल होने के लिए बस्तर पहुंचते हैं. नवरात्रि के पहले दिन हर साल किन्नरों द्वारा श्रृंगार यात्रा निकाली जाती है. बाक़ायदा माता रानी के भजनों की धुन पर किन्नर समूह थिरकते हुए माता को चुनरी और श्रृंगार का सामान चढ़ाने के लिए मंदिर पहुंचता है. इस दौरान वे पूर्ण श्रृंगार किए होते है.
अध्यक्ष रिया का कहना है कि मां दंतेश्वरी के प्रति किन्नरों की गहरी आस्था जुड़ी हुई है. यही वजह है कि हर साल नवरात्रि के पहले दिन चुनरी और श्रृंगार का सम्मान किन्नरों के द्वारा ही माता को चढ़ाया जाता है. उन्होंने कहा कि वह भी समाज का एक प्रमुख अंग है. इस पूजा के पीछे उनका उद्देश्य होता है कि बस्तरवासियों पर किसी तरह की कोई समस्या ना आए, किसी की गोद खाली ना रहे, इसलिए मां दंतेश्वरी से वे प्रार्थना करने पहुंचते हैं. मान्यता है कि नवरात्रि में मां दंतेश्वरी देवी का पहला दर्शन किन्नरों के द्वारा ही किया जाता है.