Big Reveal About Naxal organizations: चंपेश जोशी/कोंडागांव। खुद को समर्पित कर चुके नक्सली जब मूलधारा में जुड़कर जीना चाह रहे हैं, लेकिन उनका वैवाहिक जीवन बिगड़ चुका है. अब वे भी चाहते हैं कि उनका भी भरा पूरा परिवार हो. उनका वंश आगे बढ़े. उन्हें संतान की प्राप्ति हो मगर ऐसा संभव नहीं हो पा रहा है. इस कारण अब पूर्व नक्सली अस्पतालों के चक्कर लगाकर परेशान हैं. उन्हें अपने जीवन का अहम हिस्सा हिंसा में देने का खामयाजा भुगतना पड़ रहा है.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अस्पतालों के चक्कर लगा रहे पूर्व नक्सली
दरअसल पूर्व नक्सलियों के साथ ऐसा समस्या इस लिए हो रही है कि संगठन में शामिल होते ही उनकी नशबंदी कर दी जाती है. अब समर्पण के बाद वो सामान्य जीवन चाहते हैं. इस लिए वो अब अपने नसबंदी खुलवाना चाहते हैं. इसलिए अस्पतालों के चक्कर लगा रहे हैं, लेकिन इसमें भी वो कई बार इलाज के बाद भी सफल नहीं होते हैं. उनकी मदद पुलिस भी करती है, लेकिन मेडिकल में इसके चांसेस ही कम हैं.


ये भी पढ़ें: ये हैं TOP-5 छत्तीसगढ़ी व्यंजन, फटाफट हो जाएंगे तैयार; जानें रेसिपी


क्या है नक्सल संगठन का नियम
नक्सली संगठन में यह नियम बनाया गया है कि जब भी नक्सली सदस्य बने तो उनका सबसे पहले नसबंदी किया जाता है. नक्सल संगठन में नसबंदी पुरुषों की की जाती है. महिलाओं की नसबंदी न करने के पीछे माना जाता है कि ऑपरेशन के बाद उन्हें जंगल में उन्हें चलने, दौड़ने भागने के साथ अन्य कार्यों में समस्या होगी.


Video: शेर सा शिकारी है ये सांप! पलक झपकते ही कर देता है काम तमाम, देखें वीडियो


पड़ोसी राज्यों में करा रहे हैं इलाज
इस बारे में समर्पण कर चुके कुछ नक्सलियों से पता चला की ऐसे सैकड़ों समर्पित नक्सली हैं, जिनको इस परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. समर्पण कर चुके नक्सलियों ने बताया कि वह दूसरे राज्यों से इलाज करवा रहे हैं. किसी के किसी को सफलता मिली है तो किसी को असफलता.


ये भी पढ़ें: भानुप्रतापपुर के मैदान में बचे 7 प्रत्याशी, जानिए क्या है उपचुनाव का पूरा गणित


क्या कहते हैं पुलिस अधिकारी
पुलिस अधिकारी भी मानते हैं कि नक्सली संगठन में इस तरह की नसबंदी की जाती है. अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शोभराज अग्रवाल ने बताया की कई समर्पण कर चुके नक्सली हमारे पास इस समस्या को लेकर पहुंचते हैं. हम उनकी मदद भी करते हैं. कुछ समर्पण कर चुके नक्सलियों का हमने नसबंदी खुलवाया भी है.


VIDEO: Zebra Tiger Fight: बच्चे के लिए बाघ से भिड़ गई मां, VIDEO देख ममता को करेंगे सलाम


नसबंदी खुलवाने को लेकर डॉक्टर क्या कहते हैं?
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ आरके सिंह का कहना है कि इस तरह नसबंदी के ऑपरेशन में हमेशा सफलता नहीं मिलती हैं. चार से 5% ही सफल होने का चांस होता है. असफलता ज्यादा होती है.