नक्सलियों की जन अदालत में जीवन को मिला `जीवनदान`, वीडियो बयान में बताई पूरी बात
Bastar News: नक्सलियों की जन अदालत में पेश होने के बावजूद एक शख्स की सकुशल रिहाई हुई है. सुकमा के जंगलों से इस शख्स का 20 अगस्त को अपहरण हुआ था.
अविनाश प्रसाद/सुकमा: छत्तीसगढ़ में सुकमा से माओवादियों की चेरला एरिया कमेटी ने एक वीडियो जारी किया है. इस वीडियो में नक्सलियों की जन अदालत के बीच एक युवक को हाथ बांधकर खड़ा रखा गया है, युवक की आंखों पर भी पट्टी है. यहां नक्सली युवक की जिंदगी और मौत के न्यायाधीश बने बैठे हैं.
3 साल तक नक्सल संगठन से था जुड़ाव
दरअसल, नक्सल संगठन द्वारा जारी किए गए परिचय के अनुसार इस युवक का नाम जीवन है और यह पहले नक्सली था. 3 वर्ष तक नक्सल संगठन के साथ जुड़े रहने के बाद इसने वर्ष 2021 में पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया था. तभी से नक्सलियों को इसकी तलाश थी.
तीन दिनों तक की गई पूछताछ
20 अगस्त को सुकमा और तेलंगाना के सीमावर्ती इलाके के किस्टाराम के एटूपाका ग्राम से नक्सलियों ने इसका अपहरण कर लिया. तेलंगाना के भद्रादरी जिले के जंगलों में लगातार तीन दिनों तक इस से पूछताछ की गई और अंत में जंगलों में ही जन अदालत लगाई गई. जन अदालत में आसपास के क्षेत्र के ग्रामीणों को एकत्रित किया गया और इस युवक के आचरण के विषय में लोगों से सलाह ली गई.
वीडियो बयान किया जारी
जीवन की खुशकिस्मती थी कि ग्रामीणों ने नक्सलियों को बताया कि जीवन ने ऐसी कोई गलती नहीं की है कि इसे मौत के घाट उतार दिया जाए. अंततः नक्सल संगठन की पूछताछ और ग्रामीणों के बयानों के बाद जीवन को जीवन दान दे दिया गया. नक्सलियों ने जीवन का एक वीडियो बयान भी जारी किया है जो तेलुगू में है.
वीडियो में जीवन ने सुनाई आपबीती
इस वीडियो में जीवन कह रहा है, "मुझे 3 दिन से बंधक बनाकर रखा गया था. आज माओवादियों ने मुझसे बातचीत की. मैंने भी उनसे बातचीत की. मैंने उनसे कहा कि अब मैं अच्छे से रहूंगा और मुझसे गलती नहीं होगी. मुझे उन्होंने चेतावनी दी है और अब दोबारा पुलिस से जुड़कर उनके साथ काम करने के लिए मना किया है. मैं अब पुलिस मुखबिरी का काम कभी नहीं करूंगा. मैंने उनसे कहा है कि मुझसे गलती हुई है. संगठन ने मुझे समझाया और आखिरी मौका दिया है."
जन अदालत से जिंंदा वापस छोड़ा
इस वीडियो के साथ नक्सलियों ने एक पर्चा भी जारी किया है जिसमें पूरी घटना का वृतांत बताया गया है. ग्रामीण सूत्र बताते हैं कि जीवन का जन अदालत से जिंदा लौट आना एक अचंभा ही है. अब तक के इतिहास में ऐसा कभी नहीं हुआ है कि किसी आसपास अर्पित नक्सली को जन अदालत से जिंदा वापस छोड़ दिया गया हो. जीवन बेहद खुशकिस्मत है.
बस्तर संभाग के पुलिस महानिरीक्षक ने वीडियो से जाहिर की अनभिज्ञता
इधर बस्तर संभाग के पुलिस महानिरीक्षक सुंदरराज पी ने नक्सली द्वारा जारी किए गए वीडियो से अनभिज्ञता जाहिर की है. उनका कहना है कि वीडियो देखने के बाद ही वे इस विषय में कुछ बता पाएंगे. बहरहाल जीवन के जिंदा लौट आने से इलाके में खुशी का माहौल है.
चाय बनाने के लिए गैस को करना था चालू, माचिस जलाते ही सिलेंडर में धमाका