Goncha Festival: चंदन जात्रा के साथ बस्तर में शुरू हुआ गोंचा महापर्व, 27 दिनों तक निभाई जाती है अनोखी रस्म
Bastar Goncha Festival 2024: जगदलपुर में 617 साल से मनाए जा रहे गोंचा महापर्व की शुरुआत हो गई है. 22 जून को चंदन जात्रा कार्यक्रम के साथ महापर्व शुरू हुआ, जो 27 दिनों तक मानाया जाएगा. CM विष्णु देव साय ने भी प्रदेशवासियों को इसकी शुभकामनाएं दी हैं. जानिए गोंचा महापर्व के बारे में-
Goncha Festival 2024: छत्तीसगढ़ के बस्तर में 22 जून से गोंचा महापर्व का उतस्व का शुरू हो गया है. शनिवार को जगदलपुर स्थित जगन्नाथ मंदिर में चंदन जात्रा कार्यक्रम के साथ महापर्व की शुरुआत हुई. 617 साल से मनाया जा रहा ये पर्व 27 दिनों तक चलता है. CM विष्णु देव साय ने भी इस पर्व की शुभकामनाएं दी हैं.
गोंचा पर्व की हुई शुरुआत
जगदलपुर में चंदन यात्रा के साथ गोंचा महापर्व की शुरुआत हुई. गोंचा महापर्व 27 दिनों तक मनाया जाएगा. इसका समापन 17 जुलाई को देवशयनी एकादशी के दिन होगा. ओडिशा के जगन्नाथ पूरी की तर्ज पर मनाए जाने वाले बस्तर के गोंचा पर्व को देखने के लिए देश ही नहीं बल्कि विदेशों से भी बडी संख्या में सैलानी पंहुचते है.
CM साय ने दी बधाई
CM विष्णु देव साय ने गोंचा पर्व की बधाई देते हुए सोशल मीडिया पर पोस्ट किया- बस्तर में आज से विश्वप्रसिद्ध गोंचा पर्व की शुरुआत हुई. 617 साल से मनाए जा रहे इस पर्व में जगदलपुर के जगन्नाथ मंदिर में चंदन जात्रा विधान किया गया और देव विग्रहों को चंदन से स्नान कराया गया. इस पर्व के अंतर्गत 27 दिनों तक विभिन्न धार्मिक रस्में निभाई जाएंगी. मैं विश्वप्रसिद्ध गोंचा पर्व की शुरुआत पर बस्तर सहित समस्त प्रदेशवासियों को अपनी हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं देता हूं. महाप्रभु जगन्नाथ की कृपा हम सब पर सदैव बनी रहे.
परंपरा का निर्वहन
रियासत काल से बस्तर का गोंचा पर्व जगन्नाथपुरी की तरह ही मनाया जा रहा है. कहा जाता है कि रियासतकाल मे ओडिशा राज्य के जगन्नाथ पूरी के महाराजा ने बस्तर के राजा को रथपति की उपाधि दी थी. ऐसे में शनिवार को जगदलपुर के जगन्नाथ मंदिर में भक्त इंद्रावती नदी का जल लेकर पंहुचे और भक्ति भाव से परंपरा का निर्वहन किया.
617 सालों से चली आ रही परंपरा
जगदलपुर में 617 साल से इस पर्व को धूमधाम से मनाने की परंपरा है. 22 जून से शुरू हुआ यह पर्व 17 जुलाई तक चलेगा. इस पर्व के दौरान रोजाना विधि-विधान से जगन्नाथ मंदिर में कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे.
विधि-विधान से पूजा
परंपरा के अनुसार इंद्रावती नदी के पवित्र जल से भगवान जगन्नाथ, देवी सुभद्रा और बलभद्र के विग्रह को चंदन व पवित्र जल से स्नान कराया जाता है. इसके बाद भगवान शालिग्राम की विधि-विधान से पूजा की जाती है. पूजा के बाद भगवान के विग्रह को मुक्ति मंडप में स्थापित किया जाता है.
खास रथ
इस पर्व के लिए 4 पहियों वाला गोंचा का खास रथ भी तैयार किया जा रहा है. ओडिशा के जगन्नाथ पूरी की तर्ज पर यहां भी रथ यात्रा निकाली जाती है, जिसे देखने के लिए दूर-दूर से बड़ी संख्या में लोग पहुंचते हैं. बता दें कि बस्तर के 360 आरण्य ब्राह्मण समाज द्वारा हर साल भगवान जगन्नाथ पूजा का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है.