Chhattisgarh News: बारिश में स्वाद बढ़ाती है ये जंगली सब्जी; पनीर, चिकन से भी ज्यादा है कीमत, जानिए क्या है खासियत

Chhattisgarh News: बारिश का महीना चल रहा है, इस महीने में सब्जियों के दाम थोड़ा बहुत बढ़ जाते हैं. मौसमी सब्जियों की भी डिमांड बढ़ जाती है. इसी मौसम में कोरिया जिले के जंगलों में मिलने वाली जंगली सब्जी `पुटू` की भी डिमांड बढ़ जाती है. जंगलों में मिलने वाली ये एक ऐसी सब्जी है जो पनीर, चिकन और मछली से भी महंगी है. इसका स्वागत चखने के लिए लोग बारिश का भी इंतजार करते हैं. जानिए क्या है इस सब्जी की खासियत.

अभिनव त्रिपाठी Fri, 26 Jul 2024-12:12 pm,
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कोरिया जिले के जंगलों में मिलने वाली एक ऐसी सब्जी है जो पनीर ,चिकन और मछली से भी महंगी है जिसे ग्रामीण पुटू कहते हैं, इसे लोग बड़े चाव से खाते हैं. 

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बाज़ारों में मिलने वाली जंगली सब्जी पुटू को ग्रामीण 600 रुपये से एक हजार रुपये प्रति किलो की दर से बेचते हैं, साल भर में केवल बरसात के मौसम में मिलने के कारण इसकी कीमत भी ज्यादा है. साथ ही इसे खाने के लिए लोग बारिश के सीजन का बेसब्री से इंतजार करते हैं.  यह सब्जी जंगल में सरई साल के वृक्षो के नीचे मिलती है. 

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कोरिया जिले के भरतपुर और सोनहत विकासखंड क्षेत्र के जंगलों में अधिकांश आदिवासी ग्रामीण जंगल मे उगने वाली सब्जी पुटू को बाजार में बेच कर अपना जीवन यापन करते हैं.

 

 

 

 

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जंगलों मे आषाढ और सावन के महीने में यह पुटू साल और सरई के पेड़ के नीचे बारिश और बिजली चमकने के कारण अपने आप ही उगता है, गर्मी के मौसम के बाद बरसात होते ही इसकी पैदावार जमीन के तापमान से होती है. 

 

 

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पुटू सब्जी भी इस खानपान का हिस्सा है जो पूरे प्रदेश में लोकप्रिय है और आसपास के राज्यों के लोग भी इसे यहां से लेकर जाते हैं, लोगों को बारिश के मौसम का इंतजार रहता है ताकि उन्हें पुटू खाने का मौका मिले.

 

 

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पुटू जमीन में उगने वाली एक जंगली सब्जी है, बारिश के मौसम में उमस से होने वाली यह सब्जी जमीन के अंदर आकार ले लेती है जो आलू से भी छोटा होता है, पुटू सब्जी का रंग भूरा होता है जिसमें ऊपर की परत पतली रहती है और अंदर का गुदा सफ़ेद रंग का होता है. 

 

 

 

 

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स्थानीय लोग कहते हैं कि हम लोग सुबह भोर में उठते हैं और फिर काम धाम करने के बाद जंगल में जाकर पुटू उठाकर लाते हैं और इससे बेचते हैं 300-400 रुपये किलो बिकता है जिससे हम लोगों का जीवन यापन होता है. 

 

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इसके अलावा लोगों ने कहा कि हम लोग इसे जनकपुर से लाते हैं शुरुआत में सबसे पहले 1000 रुपये किलो बेचते थे अब 300 से 400 रुपये किलो बेचते हैं, इसे खाने से कोई नुकसान नहीं होता है पुटू साल में एक बार सरई पेड़ के नीचे मिलता है.

 

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