Dharmik kahani: पहली बार बाल्यावस्था में भगवान राम से मिले थे महावीर हनुमान, जानिए पहचान छिपाने की वजह
Dharmik kahani: भगवान राम के जीवन की बहुत सारी कहानियां प्रचलित है. इनमें से एक कहानी है जब माता सीता का हरण हो जाता है तो प्रभु राम उनको ढंढ़ने के लिए वनों में फिर रहे थे. तभी उनकी मुलाकात हनुमान जी से होती है. लेकिन हनुमान जी अपने पहचान को छिपा लेते हैं. इसके पीछे की क्या वजह है आइए जानते हैं.
भगवान राम को जब वनवास मिलता है तो वो चित्रकूट के पास दंडकारण्य में कुटिया बनाकर रहने लगते हैं.
वहां वो रहते हैं तभी रावण की बहन सूपर्णखा विवाह का प्रस्ताव लेकर आती है. लेकिन भगवान राम उसका प्रस्ताव ठुकरा देते हैं.
इसके बाद सूपर्णखा जगत जननी मां जानकी की तरफ बढ़ती है तो लक्ष्मण उसकी नाक को कट कर देते हैं.
इसके बाद बदला लेने की वजह से रावण मामा मारीच को सोने का मृग बनाकर भेजता है.
जिसको देखकर माता सीता ने उससे कुटिया सजाने की इच्छा जाहिर की. लेकिन षडयंत्र का शिकार प्रभु राम हो जाते हैं.
जिसके बाद साधु के भेष में आया रावण माता का हरण कर लेता है और फिर माता सीता को लेकर लंका लेकर चला जाता है.
माता सीता की खोज में निकले प्रभु श्री राम की मुलाकात पंपापुर में सुग्रीव से होती है. लेकिन उससे पहले सुग्रीव महावीर को बाल अवस्था में भगवान का भेद जानने के लिए भेजते हैं.
महावीर बाल अवस्था में भगवान का परिचय लेने के लिए आते हैं. लेकिन प्रभु श्री राम उन्हें पहचान लेते हैं.
प्रभु ने जब इसकी वजह पूछी तो उन्होंने कहा कि मेरे राजा सुग्रीव को अपने भाई से डर है जिसकी वजह से मुझे इस भेष में आना पड़ा.
सुग्रीव और उसके भाई दोनों शक की वजह से एक दूसरे का वध करना चाहते थे. जिसकी वजह से भगवान राम लक्ष्मण को देखकर सुग्रीव को लगा कि इन्हें बालि ने भेजा होगा. इस वजह से उन्होंने हनुमान से अपनी पहचान छिपाकर मिलने को कहा.