Sawan Month 2022 Bel Patra Rules: सावन का महीना भगवान शिव का बहुत प्रिय महीना होता है. इस पूरे महीने शिव भक्त बाबा भोलेनाथ की पूजा करते हैं. शिव भक्त शंकर जी को प्रसन्न करने के लिए शिवलिंग पर गंगा जल, पुष्प, भांग धतूर, बेलपत्र इत्यादि चढ़ाते हैं. ज्योतिषों की मानें तो भगवान शिव को बेलपत्र बहुत प्रिय है. जो लोग शिव जी की पूजा करते समय बेलपत्र नहीं चढ़ाते हैं उनकी पूजा अधूरी मानी जाती है. ऐसी मान्यता है कि जो भक्त सावन के महीने में भगवान शिव को एक कलश जल के साथ बेलपत्र चढ़ाते हैं, उन पर भगवान भोले शंकर प्रसन्न होते है और उनकी सभी मनोकामना पूरी होती है. आइए जानते हैं भगवान शिव को कौन सा बेलपत्र चढ़ाना चाहिए और क्या है इसका महत्व?


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शिव जी को चढ़ाएं त्रिकोणीय बेलपत्र
जिस बेलपत्र के तीन पत्ते आपस में जुड़े होते हैं वो बेलपत्र बहुत शुभ होते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि तीन पत्ते के बेलपत्र भगवान शिव के त्रिशुल का प्रतीक है तो वहीं कुछ लोगों का मानना है कि त्रिकोणीय आकार का बेलपत्र भगवान शिव की तीनों आंखों का प्रतिनिधित्व करते हैं. धार्मिक मान्यता अनुसार भगवान भोले को तीनों पत्तों वाला बेलपत्र चढ़ाने से उन्हें शांती मिलती है. इसलिए जो भक्त सच्चे मन से सावन के महीने में भगवान भोले की आराधना करते हुए शिवलिंग पर जल अर्पित करने के साथ बेलपत्र चढ़ाते हैं उन पर भगवान भोले की कृपा हमेशा बनी रहती है.


बेलपत्र चढ़ाते समय इन बातों का रखें ख्याल
बेलपत्र में औषधीय गुण होते हैं इसलिए भगवान शिव को बेलपत्र को चढ़ाते समय कुछ बातों का विशेष ख्याल रखना चाहिए. शिवलिंग पर हमेशा बेलपत्र चढ़ाने के बाद ही जल चढ़ाएं, हमेशा तीन पत्तियों वाला बेलपत्र चढ़ाना चाहिए. बेलपत्र चढ़ाते समय इस बात का विशेष ख्याल रखना चाहिए कि उसकी पत्तियां जिस तरफ चिकनी हो उसी तरफ से शिवलिंग पर चढ़ाएं. बेलपत्र कभी भी कटे-फटे नहीं चढ़ाना चाहिए. बेलपत्र चढ़ाने से पहले उसे धो लें. मान्यता है कि सावन के महीने में जो बेलपत्र पर ऊं नमः शिवाय मंत्र लिखकर अर्पित करता है उसे भगवान भोले की विशेष कृपा प्राप्त होती है.


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जानिए क्यों चढ़ाया जाता है बेलपत्र 
पौराणिक मान्यता अनुसार समुद्र मंथन के दौरान जो जल निकला वो हलाहल विष था. इस विष का प्रभाव इतना तेज था कि सभी राक्षस और देवता गण जलने लगे. विष इतना प्रभाव खतरनाक था कि इससे पूरी सृष्टि जल जाती. इस विष के प्रकोप से बचने के लिए सभी लोग भगवान शिव के पास पहुंचकर उनसे विनती करने लगे की हे प्रभु कुछ उपाय करों नहीं तो समस्त सृष्टि का नाश हो जाएगा. जिसके बाद भगावन शिव ने सृष्टि को बचाने के लिए समुद्र मंथन के दौरान निकले विष को पी गए. विष के प्रभाव से शिव शंकर के शरीर का तापमान बढ़ने लगा और उनका कंठ नीला पड़ गया. भगवान शिव के तापमान को कम करने के लिए देवता गण उनका गंगा जल से अभिषेक करना शुरू किया और बेलपत्र का सेवन कराया. जिसके बाद से शिवजी के शरीर का तापमान धीरे-धीरे कम होने लगा. तभी से भगवान शिव को बेलपत्र बहुत प्रिय हो गया और ऐसी मान्यता है कि जो भक्त भगवान शिव पर बेलपत्र चढ़ाते उनकी हर इच्छा पूरी होती है.


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(disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है. ZEE MEDIA इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


 


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