Gariaband News: गरियाबंद। आज के समय में जब लोग किसी की मदद करने से पीछे हट जाते हैं. ऐसे में हम आपको छत्तीसगढ़ के गरियाबंद में गांधीवादी विचारधारा से प्रेरित आज ऐसे शख्स से मिलाते हैं. जिन्होंने देवभोग में बल्ड बैंक खोलने अपनी पुरी जवानी न केवल दांव पर लगाया बल्कि 45 के उम्र में 58 बार रक्तदान भी किया.  पहला रक्तदान उन्होंने 20 साल की उम्र मे किया था. लोग इन्हें चलता फिरता बल्ड बैंक भी कहते हैं.


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गांधी के पुजारी
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की तस्वीर की पुजा फिर भजन कर रोजाना अपनी दिन की शुरुवात करने वाले इस शख्स का नाम है बीलभद्र यादव. देवभोग निवासी इस शख्स ने 23 साल के उम्र में पहली बार एक महिला को रक्तदान से जीवन दान दिया. तब से आज तक वे 58 बार रक्तदान कर चुके हैं.


खून की जरूरत के लिए गंवा दी जवानी
इलाके में स्वास्थ्य सुविधाओं का अभाव था. लोग ओडिसा के हॉस्पिटल पर निर्भर रहते थे. खून की जरूरत पर देवभोग के लोगों को जान गवानी पड़ रही थी. छत्तीसगढ़ आस्तित्व में आते ही यादव ने ब्लड बैंक की मांग को लेकर पत्राचार शुरू किया. साथ ही ब्लड बैंक नहीं खुलते तक वैवाहिक जीवन में प्रवेश नहीं करने का भी संकल्प ले लिया. इस दरम्यान कई रिश्ते आए. परिवार का दबाव भी था पर वे अपने भीष्म प्रतिज्ञा पर कायम रहे. 20 साल बाद देवभोग में बल्ड स्टोरेज यूनिट खुल गया.


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100 अधिक युवा साथ जुड़े
अपनी जवानी को दांव पर लगाने वाले बीलभद्र यादव आज क्षेत्र के सैकड़ों युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत बन गए हैं. बल्ड बैंक के संघर्ष में इनके साथ 100 से भी ज्यादा युवा जुड़े हुए हैं जो जरूर मंदो को तत्काल रक्तदान कर उनकी अहम जरूरत को समय पर पुरा करते हैं.


कई और प्रोग्राम चलाते हैं
बीलभद्र स्वच्छता और नशा मुक्ति का अभियान भी चलाते हैं. सरकारी और गैर सरकारी संस्थानों से कई बार सम्मानित हुए हैं. देवभोग पंचायत के वार्ड 3 से दो बार पंच चुने जा चुके हैं. बीलभद्र को संकल्प पुरा करने में गवाई जवानी का कोई गम नहीं है. उन्हें हमेशा इस बात की खुशी है कि वे किसी के काम आए.


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