सिर्फ एक दिन के लिए खुलता है लिंंगेश्वरी मंदिर, 1 KM लंबी लगी लाइन
छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले में माता लिंगेश्वरी जी का एक ऐसा मंदिर है जो साल में एक बार दर्शन के लिए ही खुलता है. इसे 1 दिन का मंदिर भी कहा जाता है. मान्यता है कि यहां आकर माथा टेक कर माता से प्रार्थना करने पर मां उनकी सूनी गोद संतान से भर देती है. यही वजह है कि यहां देश-विदेश से भक्त पहुंचकर माता से संतान प्राप्ति की मन्नत मांगते हैं.
चंपेश जोशी/कोंडागांव: छत्तीसगढ़ में कोंडागांव जिले के ग्राम आलोर में स्थित मां लिंगेश्वरी मंदिर का पट पूरे देश भर के श्रद्धालुओं के लिए आज एक दिन के लिए खोला गया जहां पर हजारों की संख्या में भक्त, माता के दर्शन के लिए लगभग 1 किलोमीटर की लंबी लाइनों में दिखे. आपको बता दें कि इस मंदिर में भीड़ इतनी होती है कि 1 दिन पूर्व रात से ही माता के दर्शन के लिए लंबी लाइनें लगनी शुरू हो जाती हैं.
चढ़ाया जाता है विशेष प्रसाद
माता लिंगेश्वरी को एक विशेष प्रसाद चढ़ाया जाता है. बताया जाता है कि माता लिंगेश्वरी को खीरे का प्रसाद चढ़ाया जाता है जिसको पति-पत्नी प्रसाद स्वरूप लेते हैं और से बराबर भागों में बांट कर एक दूसरे के साथ खाते हैं तो संतान प्राप्ति होती है.
विशाल पत्थर के नीचे की गुफा में है मंदिर
यह मंदिर एक विशाल पत्थर के नीचे ही एक गुफा पर है जहां शिवलिंग है. अंदर प्रवेश करने के लिए लेट कर ही अंदर प्रवेश किया जा सकता है. गुफा के अंदर दो से तीन व्यक्ति बैठकर पूजा करते हैं. श्रद्धालुओं की संख्या अधिक होने की वजह से अंदर किसी को भी प्रवेश नहीं दिया जाता. बाहर से ही दर्शन कर उन्हें प्रसाद दिया जाता है क्योंकि सूर्य डूबने से पहले ही पट को फिर दोबारा साल भर के लिए बंद कर दिया जाता है. यहां दर्शन करने की किसी को भी अनुमति नहीं दी जाती है.
एक दिन के लिए खुलता है ये मंदिर
आपको बता दें कि यह मंदिर हमेशा भादों पक्ष के दिन बुधवार को ही खोला जाता है. अब तक हजारों श्रद्धालुओं की मन्नतें पूरी हो चुकी है जो यह समिति के रजिस्टर पर अपना नाम-पता भी दर्ज करवा जाते हैं. मन्नतें पूरी होने पर माता को चढ़ावा भी चढ़ा जाते हैं.
आस्था पर लोगों को बढ़ रहा विश्वास
जब लोगों को विज्ञान पर से भरोसा उठ जाता है तो आस्था पर विश्वास लोगों का बढ़ जाता है. ऐसा ही कुछ नजारा यहां आकर भक्तों में देखा जा सकता है. लोगों कई लोगों का कहना है कि जब डाक्टरों से इलाज करवा कर थक जाते हैं और माता के पास दरबार में आ जाते हैं और माता रानी हमारी मन्नतें मान लेती हैं.
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