Vat Savitri Vrat: हर साल ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को वट सावित्री का व्रत रखा जाता है. यह व्रत सुखी वैवाहिक जीवन और पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है. इस साल 19 मई को महिलाएं वट सावित्री का व्रत रखेंगी. सुहागिन महिलाओं के लिए ये व्रत बेहद खास होता है. वहीं, जो महिलाएं पहली बार यह व्रत रखने जा रही हैं वो इन बातों का जरूर ध्यान रखें- 


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- अगर आप पहली बार वट सावित्री का व्रत रखने जा रही हैं तो सुबह सबसे पहले स्नान के बाद लाल रंग की साड़ी पहने और पूरा श्रृंगार जरूर करें


- श्रृंगार के बाद पूजा घर और वट वृक्ष के नीचे पूजा स्थान की सफाई करें. इसके बाद वहां गंगाजल छिड़कें और उस स्थान को पवित्र करें


- वट वृक्ष या बरगद के पेड़ की पूजा मुहूर्त पर ही करें


- पूजा के दौरान धूप और दीप जरूर जलाएं. वट वृक्ष की जड़ को जल अर्पित करें और उसके चारों ओर 7 बार कच्चा धागा लपेटें. इसके बाद वट वृक्ष की परिक्रमा भी करें


- वट के पत्तों की माला बनाकर पहने और वट सावित्री व्रत कथा सुनें


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- कथा सुनने के बाद चने का बायना और कुछ पैसे अपनी सास को देकर उनसे आशीर्वाद लें


- पूजा के बाद फल, अनाज, कपड़ा आदि एक टोकरी में रखकर किसी ब्राह्मण को दान करें.- 


- पूजा की थाली में सावित्री-सत्यवान की मूर्ति, कच्चा सूत, अक्षत, सिंदूर, सुहाग का सामान, बांस का पंखा, लाल कलावा, धूप-अगरबत्ती, मिट्टी का दीया, घी, बरगद का फल, मौसमी फल, फूल, इत्र, सुपारी, रोली, बताशे, सवा मीटर कपड़ा, नारियल, पान, दूर्वा घास, नगद रुपए और घर पर बने पकवान और मिठाई जरूर रखें


- बता दें कि माना जाता है कि जो सुहागन वट वृक्ष की पूजा और परिक्रमा करती हैं उन्हें मां सावित्री और त्रिदेव का आशीर्वाद से अखंड सौभाग्यवती रहने का वरदान मिलता है. 


(Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और विभिन्न जानकारियों पर आधारित है. zee media इसकी पुष्टि नहीं करता है.)