भोपाल: मध्यप्रदेश के डिंडौरी जिले में सिंगारपुर गांव के स्कूली छात्रों व ग्रामीणों को जान की बाजी लगाकर नदी पार करनी पड़ती है. पुल नहीं होने की वजह से गांव के करीब 50 स्कूली बच्चे रोज जानजोखिम में डालकर रोज नदी को पार करते हैं. वहीं, बीमारों को परिजन पीठ पर लादकर अस्पताल ले जाते हैं. स्कूली छात्रों ने बताया कि नदी पार करने में उन्हें डर लगता है. लेकिन, पढ़ाई के लिये वे रोज जोखिम उठाने के लिये तैयार रहते हैं. नदी पार करने के दौरान उनके कपड़े और किताबें भीग जाते हैं. 


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दरअसल, सिंगारपुर गांव से विक्रमपुर की दूरी करीब 5 किलोमीटर है. लेकिन, सड़क और पुल निर्माण नहीं होने के कारण लोगों को पैदल सफर तय करना पड़ता है. सबसे ज्यादा दिक्कत बरसात के दिनों में होती है, जब नदी में बाढ़ के कारण कई हफ़्तों तक बच्चे स्कूल नहीं जा पाते हैं. वहीं बीमारों को अस्पताल पहुंचाने के लिये अन्य रास्ते का सहारा लेकर 20 किलोमीटर का लंबा सफर तय करना पड़ता है. करीब 550 की आबादी वाले इस गांव के लोग सदियों से नदी में पुल बनने का इंतज़ार कर रहे हैं. जवाबदार अधिकारी सबकुछ जानकर भी अंजान बने हुए हैं. 


 



मध्यप्रदेश में सरकार भले ही बदल गई है, लेकिन हालात जस के तस बने हुए है. विकास एवं सरकारी दावों की पोल खोलती ये तस्वीरें डिंडौरी जिले के घुसिया ग्रामपंचायत की है, जहां पुल और सड़क नहीं होने की वजह से सिंगारपुर सहित 4 गांव के सैंकड़ों लोगों काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. गांव के स्कूली बच्चों को हाई एवं हायर सेकेंडरी स्कूल पहुंचने के लिये पहले कनई नदी को पार करना पड़ता है. फिर करीब 5 किलोमीटर का लम्बा सफर पैदल तय करना पड़ता है. ग्रामपंचायत के सरपंच ने बताया कि उन्होंने नदी में पुल और सड़क बनाने की अनेकों शिकायतें अधिकारियों एवं नेताओं से की है, लेकिन किसी ने भी सुध नहीं ली. जिले के जवाबदार अधिकारी जल्द नदी में पुल निर्माण किये जाने का दावा करते नजर आ रहे हैं.