CM शिवराज ने छीनी करप्ट अफसर की नौकर, 32 साल में 6 बार हुआ सस्पेंड, बनाई करोड़ों की संपत्ति
करोड़ों की संपत्ति के मालिक खनिज अधिकारी प्रदीप खन्ना की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं. खनिज विभाग के प्रमुख सचिव सुखबीर सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अनुमोदन के बाद प्रदीप खन्ना को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के आदेश जारी कर दिए गए हैं.
भोपालः भ्रष्टाचार के मामले में मध्य प्रदेश के खनिज अधिकारी प्रदीप खन्ना की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं. अधिकारियों-कर्मचारियों के खिलाफ लंबित विभागीय जांच के लिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में गठित समन्वय समिति ने खनिज अधिकारी प्रदीप खन्ना सस्पेंड करने का निर्णय लिया है. खनिज अधिकारी प्रदीप खन्ना 32 साल की नौकरी में 6 बार सस्पेंड हो चुके हैं. सीएम शिवराज ने खनिज विभाग की बैठक लेते हुए भ्रष्ट और दागी अफसरों को बर्खास्त करने के निर्देश दिए थे. जिसके बाद यह फैसला लिया गया है.
प्रदीप खन्ना के पास मिली थी करोड़ों की संपत्ति
प्रदेश की लोकायुक्त पुलिस ने इसी साल 4 सितंबर 2020 को आय से अधिक संपत्ति मामले में प्रदीप खन्ना के भोपाल और इंदौर स्थित 3 ठिकानों पर छापेमारी की थी. खनिज अधिकारी के पास 4 करोड़ से ज्यादा की संपत्ति मिली थी. जिसका उनके पास कोई हिसाब नहीं था. इसके अलावा सर्चिंग टीम को जमीन से जुड़े दस्तावेज, भोपाल में बंगला, 13 लाख की ज्वैलरी, एक किलो चांदी, 9 लाख रुपए नकद, दो कार और चार दो पहिया वाहन भी मिले थे. जबकि इंदौर में एक फ्लैट और एक नया मकान भी खन्ना के नाम से मिला था. जिसे लोकायुक्त ने सील कर दिया था.
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इस वजह से हुए सस्पेंड
इससे पहले प्रदीप खन्ना को भोपाल, इंदौर और विदिशा में नौकरी के दौरान निलंबित किया जा चुका है. जबकि सीहोर में पदस्थापना के दौरान लोकायुक्त जांच के आधार पर उनकी वेतन वृद्धि रोककर उनका ट्रांसफर श्योपुर कर दिया था. जहां उन्होंने अपना कार्यभार ग्रहण नहीं किया और कलेक्टर ने इसे अनुशासनहीनता मानते हुए विभाग को प्रस्ताव दिया था कि खन्ना की जगह किसी अन्य अधिकारी की पदस्थापना श्योपुर में करवाई जाए. श्योपुर में कार्यभार ग्रहण नहीं करने के बाद खनिज विभाग के प्रमुख सचिव सुखबीर सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अनुमोदन के बाद खन्ना को अनिवार्य सेवानिवृत्ति देने के आदेश जारी कर दिए गए हैं.
खनिज अधिकारी प्रदीप खन्ना 6वीं बार सस्पेंड हुए हैं. दरअसल, खनिज विभाग के नियमों के मुताबिक उन अफसरों के सर्विस रिकॉर्ड की जांच होती है. जिनकी उम्र 50 से ज्यादा हो गई है या फिर 20 साल की नौकरी पूरी हो गई थी. इसके लिए खनिज विभाग ने खन्ना के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव बना कर जीएडी को भेजा था. जहां से अनुमति मिलने के बाद उनके ठिकानों पर कार्रवाई की गई.
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